-वीना नागपाल
फ्रांस की महारानी का यह किस्सा बहुत प्रसिद्ध है। फ्रांस के राजा की अय्याशी और सामंती नीयत के कारण फ्रांस वासी बहुत अभावों से जूझ रहे थे। प्रजा बहुत दु:खी और परेशान थी। जब प्रजा की सहनशक्ति जवाब दे गई तो उन्होंने इकट्ठा होकर महल के बाहर प्रदर्शन किया। फ्रांस की महारानी ने शोर सुना तो वह झरोखे (बालकनी) में खड़ी होकर इतनी भीड़ को देखकर अपने मंत्री से बोलीं-यह सब इकट्ठे होकर इतना शोर क्यों कर रहे हैं ? यह क्या मांग रहे हैं? ‘‘मंत्री ने बहुत झिझकते हुए नम्रता से कहा - यह सब भूखे हैं और खाने के लिए ब्रेड मांग रहे हैं। तब महारानी ने बहुत भोलेपन से कहा - इन्हें ब्रेड नहीं मिल रही तो केक क्यों नहीं खा लेते?’’ सामंती संपन्नता से भरी सोच ‘भूख’ के मारे बिलबिलाने और तड़पने का अंदाजा नहीं लगा सकती। यह सोच तब भूखों को मजबूर कर देती है कि वह ऐसी व्यवस्था के विरुद्ध उठ खडे हों और महाराजाओं के तख्ते पलट दें। तभी फ्रांस की क्रांति हुई और उस क्रांति में ही आज के प्रजातंत्र के बीज छिपे हुए थे, जिन्होंने विश्व के अधिकांश देशों में इसकी फसल उगा दी।
यह तो हुई ब्रेड को लेकर क्रांति होने की बात, पर अब पता चला है कि ब्रेड और इससे मिलते-जुलते पदार्थ जैसे पिज्जा, बर्गर, (पता नहीं इसमें के क शामिल है कि नहीं) आदि नहीं खाने चाहिए, क्योंकि इनमें एक विषैला पदार्थ मिला होता है जो इतना हानिकारक है कि उससे कैंसर तक हो जाता है। इस जानकारी से चौंकना स्वाभाविक है। माता-पिता और बच्चे ब्रेड और इसी तरह के मिलते-जुलते पदार्थ इस तरह खाते हैं कि यदि उन्होंने यह नहीं खाए तो वह आधुनिक नहीं कहलाएंगे और समाज में वह दकियानूसी और रूढ़िवादी कहलाएंगे। जैसे ब्रांडेड कपड़े पहनना फैशन है उसी तरह यह आयातित आयटमों के आउटलेट्स में जाना भी चलन में है। इन नामी भोज्य पदार्थों के आउटलेट्स पर कभी भी और किसी भी समय जाएं युवाओं, किशोरों और बच्चों की भीड़ लगी होती है। क्यू में खड़े होकर बर्गर और पिज्जा लेने की व्याकुलता इनके चेहरे पर छाई होती है। बच्चों को यदि पॉकेटमनी मिलती भी है तो वह इन्हीं नामी-गिरामी फूड ज्वाइंट्स पर जाते हैं। जब यह जहर भरा भोज्य पदार्थ इतना नुकसान दायक है तो कहीं न कहीं इस पर रोक लगना चाहिए। इन पदार्थों ने बच्चों में मोटापा बढ़ाया है और अब पता चला है कि इसमें मिलाए जाने वाले पदार्थ का सीधा-सीधा मौत से नाता है। सुबह-सवेरे बच्चों को और स्वयं भी ब्रेड, टोेस्ट और जैम-मक्खन का नाश्ता करने वाले परिवार चेत जाएं। हालांकि शासन ने उस जहरीले पदार्थ को ब्रेड बनाने की प्रक्रिया में मिलाना प्रतिबंधित कर दिया है, फिर भी ऐसा आहार लेना ही क्यों। पराठे, नमकीन मठरी (वह भी कई प्रकार की), नमक पारे, चिवड़ा आदि के डिब्बे भरकर रखें। भारतीय खाद्य पदार्थों की सूची तो इतनी लंबी है कि गिनती ही नहीं हो सकती, इन्हें बनाएं और मुठ्ठी भर-भरकर बच्चों को दें और उनके स्वस्थ रहने की ग्यारंटी लें।