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इशरत, बटला हाउस और कांग्रेस का सच

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 27 2016 10:57AM | Updated Date: May 27 2016 10:57AM
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-अश्विनी कुमार
पंजाब केसरी दिल्ली के संपादक

19 सितंबर, 2008 को दिल्ली में बटला हाउस मुठभेड़ हुई थी, जिसमें इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े हुए दो आतंकी मारे गए थे और दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर महेशचंद्र शर्मा शहीद हो गए थे। तब कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह और अन्य नेताओं ने खूब हो-हल्ला मचाया था कि मुठभेड़ फर्जी है। सलमान खुर्शीद ने तो आजमगढ़ की चुनावी सभा में यहां तक कहा था कि जब उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को मुठभेड़ में मारे गए लड़कों के शवों के चित्र दिखाए तो वह फफक-फफक कर रो पड़ी थीं। आप पार्टी के संयोजक और अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी मुठभेड़ को फर्जी बताकर इसकी जांच की बात की थी। विवाद की शुरुआत कांग्रेस के दिग्गज नेता अर्जुन सिंह के उस बयान से हुई थी जिसमें उन्होंने बटला हाउस एनकाउंटर पर सवाल खड़े किए थे। इसके बाद तो मानवाधिकार कार्यकर्ता सवाल उठाने लगे।
तत्कालीन गृहमंत्री पी. चिदंबरम् ने हालांकि दिग्विजय सिंह के बयान को खारिज करते हुए साफ कहा था कि मुठभेड़ पूरी तरह सही थी। उन्होंने दिग्विजय के बयान को निजी बयान बताया था लेकिन तब तक आग को हवा मिल चुकी थी और साथ ही मुस्लिमों के वोट हासिल करने के लिए मुठभेड़ पर कांग्रेसी सियासत ने जोर पकड़ लिया था।

अब विश्व के सबसे खतरनाक आतंकवादी संगठन आईएस के 22 मिनट के वीडियो में बटला हाउस मुठभेड़ के वक्त फरार होने वाला आतंकी मोहम्मद साजिद उर्फ बड़ा साजिद दिखाई दिया है। इसी वीडियो में आतंकी बटला हाऊस मुठभेड़ का उल्लेख कर रहा है और इस आतंकी का नाम अबु राशिद है। मोहम्मद साजिद और राशिद इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकी थे। दोनों ही आजमगढ़ के सरायमीर के रहने वाले हैं। दोनों 2005 से 2008 तक दिल्ली, जयपुर, अहमदाबाद और मुंबई में हुए बम धमाकों में शामिल थे। आईएस के वीडियो में बाबरी मस्जिद, कश्मीर, गुजरात और मुजफ्फरनगर को जोड़कर भारत के युवाओं को भड़काने के लिए हरसंभव बारूदी पलीता लगाने की खतरनाक कोशिश की गई है। यह मनोवैज्ञानिक पहलुओं को काफी वीभत्स ढंग से पेश करने की साजिश है। हो सकता है कि ऐसे विषाक्त वीडियो का भारतीय मुस्लिम युवाओं पर दुष्प्रभाव पड़े। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि आपराधिक पृष्ठभूमि के लोगों को मददगार मिलने में कमी नहीं होती। धर्म के नाम पर जेहाद करने की मानसिकता लिए हुए लोग हर जगह होते हैं या फिर ऐसे लोग चंद पैसों की खातिर भी मददगार बन जाते हैं, जरूरत सिर्फ उन्हें भड़काने और उनके दिमाग में जहर भरने की होती है। यह देश के लिए बहुत चिंता का विषय है कि भारत में आईएस की ओर आकर्षित होने वाले लोगों का लगातार पर्दाफाश हो रहा है।

कुछ लोग पकड़े भी जा चुके हैं। यह सही है कि अभी ऐसे युवकों की संख्या बहुत कम है लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि आईएस और अन्य आतंकवादी संगठन भारत को युद्ध का मैदान बना देने की हर साजिश को अंजाम दे रहे हैं। यह बात किसी से छुपी हुई नहीं कि उनके मंसूबे काफी खतरनाक हैं। यद्यपि सीरिया में आईएस की ताकत काफी कमजोर हुई है लेकिन उसने पश्चिम एशिया के बाहर अपनी जड़ें जमा ली हैं। भारत उसके निशाने पर है और आईएस से जुड़े लोग सोशल मीडिया के जरिए भटके हुए युवाओं को भर्ती करने का सिलसिला शुरू किए हुए हैं।

कांग्रेस ने पहले इशरत जहां मुठभेड़ को फर्जी बताया था और गृहमंत्री पद पर रहते हुए पी. चिदंबरम ने इशरत जहां को निर्दोष बताने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दायर किए जाने वाले हलफनामे को बदला। बटला हाउस मुठभेड़ में वह पूरी तरह नग्न हो चुकी है क्योंकि यह सच प्रमाणित हो गया है कि बटला हाउस में निर्दोष युवक नहीं बल्कि आतंकवादी ही ठहरे हुए थे। कांग्रेस पूरी तरह बेनकाब हो चुकी है। उसने वोटों की खातिर इंस्पेक्टर महेशचंद्र शर्मा की शहादत को भी कमतर आंका गया। कांग्रेस ने आतंकवाद को बार-बार सियासत का हथियार बनाया। उसे समझना चाहिए कि गलत विचारधारा हमेशा समाज के लिए घातक होती है इसलिए समाज को एक बनाए रखने की कोशिशें होनी चाहिए। दिग्विजय सिंह अब भी अपनी ढफली अपना राग अलाप रहे हैं जबकि जांच एजेंसियों ने वीडियो में दिखे चार लोगों की पहचान कर ली है। कांग्रेस क्या इस बात का जवाब देगी कि उसने बार-बार आतंकवादी घटनाओं को लेकर देश को गुमराह क्यों किया? भगवा आतंकवाद के नाम पर उसने राष्ट्रवादियों को आतंकवादी करार देने की साजिश क्यों रची? ऐसी कांग्रेस से भारत मुक्त हो जाए तो अच्छा होगा। आतंकवाद से निपटने के लिए भारतीयों को कदम से कदम मिलाकर चलना होगा। सुरक्षा बल तो अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ही रहे हैं, आम लोगों को भी सतर्क रहना होगा। अब तो समझो, हम आतंकवाद पर क्यूं हार रहे हैं।
 

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