29 Mar 2024, 16:54:31 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-वीना नागपाल

कहते हैं कि शिक्षा एक ऐसी ज्योति है व एक ऐसा प्रकाश है जो मन-मस्तिष्क के कुविचारों के घने अंधकार को दूर कर देता है। वह समाज और उसके वातावरण को न केवल स्वच्छ करता है बल्कि वह उन्हें जड़-मूल से नष्ट भी कर देता है। क्या वास्तव में ऐसा हो पाता है?

केरल राज्य की साक्षरता का प्रतिशत शेष सभी राज्यों के लिए उदाहरण स्वरूप प्रस्तुत किया जाता है। ऐसा प्राय: कहा जाता है कि केरल की साक्षरता करने के प्रयासों को न केवल सराहा जाना चाहिए बल्कि उनको समझ कर अन्य राज्यों को भी उन्हें अपने-अपने राज्यों में लागू किया जाना चाहिए विशेषकर उत्तर के राज्यों के लिए इन्हें विशेष रूप से प्रयोग में लाने की बात की जाती है। परन्तु आश्चर्य इस तथ्य पर है कि केरल में महिलाओं के प्रति अश्लील दुर्व्यवहार और महिला उत्पीड़न का आंकड़ा उत्तर के अशिक्षितों के प्रतिशत अधिक होने के बावजूद कहीं अधिक है। यह भी एक तथ्य सामने आया है कि केरल में कई महिला संगठन कार्यरत हैं। वहां एक महिला संगठन कुदंबश्री के नाम से कार्य करता है, जिसके लगभग 41 लाख महिला सदस्य हैं, वहां महिला आंदोलन के द्वारा ही शराबबंदी लागू करना संभव हो पाया। वह आंदोलन इतना सशक्त था कि शासन उसके आगे झुका।

इन सबके बावजूद वहां महिला उत्पीड़न और उनके प्रति किए जाने वाले अपराधों के आंकड़े चौंकाते हैं। वहां शिक्षा के प्रतिशत 94 प्रतिशत हैं और लगभग महिला प पुरुषों की संख्या का प्रतिशत समान है। यह भी वहां संभव है कि मातृ मृत्यु दर नहीं के बराबर है। वहां महिलाओं के स्वयं सहायता समूह बहुत सक्रिय हैं और राजनीति में भी उनकी सशक्त भागीदारी है इसलिए पंचायतों के स्तर पर भी महिलाएं बहुत शक्ति से अपनी उपस्थिति व सदस्यता दर्ज करवाती हैं।

इन सारी बातों और तथ्यों को विस्तार से बताने का मकसद यही है कि इन सबके बावजूद वहां महिलाओं के प्रति किए जाने वाले अपराधों और दुर्व्यवहार व उनका उत्पीड़न क्यों मौजूद है। इन सबको तो नहीं के बराबर होना चाहिए पर इसके स्थान पर यह अपराध बहुत अधिक संख्या में हो रहे हैं। यह बात विशेषकर तब अधिक चर्चा में आई है जब मानव अधिकार आयोग ने केरल के एर्नाकुलम में एक युवती के साथ दिल्ली में हुई निर्भयाकांड जैसी निर्मम और अमानवीय घटना पर संज्ञान लिया। वह युवती स्वयं कानून की छात्रा थी। उसके साथ हुए इस पीड़ादायी क्रूरता से भरे दुर्व्यवहार पर स्वयं मानव अधिकार आयोग ने कहा कि यह व्यवहार इतना कंपकंपा देने वाला और अमानवीय-क्रूरता का था कि इसकी निर्दयता को शब्दों तक में बताया तक नहीं जा सकता।

केरल में ऐसा क्यों है? इसका उत्तर व अर्थ दोनों स्पष्ट हैं कि वहां शिक्षा पितृसतात्मक व्यवहार व उसके प्रभुत्व को मिटाने में असफल साबित हुई है। वहां पुरुषों का वर्चस्व और उनकी बदनीयत को शिक्षा दूर नहीं कर सकी है। शिक्षा उस जागरूकता को फैलाने में असफल रही हैं जो महिलाओं के प्रति आदर व सम्मान का भाव जगाती है। शिक्षा ने पुरुष मानसिकता में मौजूद अंधकार को दूर नहीं किया और प्रकाश नहीं जगाया जो पुरुष को महिला उत्पीड़न व उसकी प्रताड़ना नहीं करने के प्रति संवेदनशील बनाएं। इसका समाधान तभी संभव है जब पाठ्यक्रमों में महिलाओं को लेकर पाठों व अध्यायों का लेखन होगा और महिलाओं की सुरक्षा तथा उनका एक व्यक्ति के रूप में सम्मान करने का अध्ययन करवाया जाएगा। ऐसा पाठ्यक्रम देश की शिक्षा में सम्मिलित किया जाए।
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