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निर्णय इटली का, आंदोलन दिल्ली में

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 11 2016 12:18PM | Updated Date: May 11 2016 12:18PM
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- सुरेश हिन्दुस्तानी
समसामयिक विषयों पर लिखते हैं।

हमारे देश में हमेशा एक कहावत बहुत चलती है कि चोर अपने आपको कभी भी यह नहीं कहता कि वह चोर है, बल्कि कई प्रकार के कुतर्क देकर अपने आपको यह ही साबित करने की कोशिश करता है कि उसने चोरी नहीं की। लेकिन जब चोर को कहीं से भी बचने की कोई गुंजाइश दिखाई नहीं देती तब वह ऐसी हरकत करने पर उतारू हो जाता है, जैसे उसको गलती से फंसाया जा रहा है। भारत में कांग्रेस के नेताओं की हालत भी कमोवेश कुछ इसी प्रकार की दिखाई दे रही है। उसने चोरी की या नहीं, यह तो कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन क्या सत्य यह है कि अगस्ता वेस्टलैंड मामले में दलाली की रकम कांग्रेस शासनकाल के दौरान खाई गई। यह बात सही है कि अंतरराष्ट्रीय मामलों के किसी भी सौदे में सरकार की सहमति आवश्यक होती है। फिर कांगे्रस इस बात से कैसे इंकार कर सकती है कि उसके कार्यकाल में ऐसा नहीं हुआ या फिर उसके नेताओं ने दलाली नहीं खाई?

अगस्ता वेस्टलैंड मामले में कांग्रेस जिस प्रकार से आंदोलन कर रही है या संसद को अवरोधित कर रही है, उससे कांगे्रस को यह सोचना चाहिए कि अगस्ता मामले में घूसखोरी का भंडाफोड़ इटली के न्यायालय ने किया है। इटली के न्यायालय ने साफ तौर पर कांग्रेस के नेताओं के नाम लिए हैं। फिर इसमें केंद्र सरकार को क्यों निशाना बनाया जा रहा है। वर्तमान कांगे्रस इस मामले को पूरी तरह से मोदी सरकार द्वारा उठाया गया कदम साबित करने पर आमादा है। लेकिन यह सत्य है कि इसमें मोदी सरकार की भूमिका केवल एक सरकार के नाते की कार्यवाही तक ही सीमित है। इटली के न्यायालय के निर्णय के बाद लोकतांत्रिक पद्धति से जो काम सरकार को करना चाहिए था, सरकार वैसा ही कर रही है और उसे करना भी चाहिए।

देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के लिए घोटाले करना कोई नई बात नहीं है। उसके शासनकाल में कांग्रेस के कई नेताओं ने घोटाले किए हैं। कई नेताओं पर अपराध प्रमाणित भी हुए हैं, और कांग्रेस के कई नेता आज भी आरोपों के घेरे में हैं। कांग्रेस द्वारा दिल्ली में प्रदर्शन करके मोदी सरकार पर दबाव बनाने की राजनीति की है। इस प्रकार की राजनीति कहीं न कहीं न्याय प्रक्रिया में बाधक हो सकती है। इस बात से  लगता  कि कांग्रेस के नेता यही चाहते हैं कि जनता इस घोटाले को भूल जाएं और उसका राजनीतिक दबाव काम कर जाए तो कांगे्रस के कई नेताओं को राहत मिल जाएगी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दिल्ली प्रदर्शन के दौरान अपने भाषण में केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मैं किसी से नहीं डरने वाली। सोनिया गांधी की यह बात निश्चित रूप से डर का ही एक रूप है। वैसे भी इसमें मामला डराने का बिलकुल भी नहीं है। मामला तो यह है कि इस मामले में जिसने भी घूस ली है, उस पर कार्यवाही होना चाहिए और कांग्रेस को भी इस मुद्दे पर प्रदर्शन करने के बजाय, कार्यवाई की बात करना चाहिए।

कांग्रेस के प्रदर्शन के दौरान सबसे ज्यादा विरोध के स्वर मोदी सरकार के बारे में निकाले गए, जबकि इस पर कार्रवाई की शुरुआत इटली की तरफ से हुई है। इटली के न्यायालय ने ही घूस खाने पर अपनी मुहर लगाई है। इस मामले में अगर कहीं भी कोई गलती हुई है या फिर कांग्रेस के नेताओं पर जबरदस्ती आरोप लगाया है तो ऐसे में प्रदर्शन मोदी सरकार के विरोध में नहीं, बल्कि इटली के विरोध में होना चाहिए। लेकिन कांग्रेस ने अपने राजनीतिक उत्थान के लिए केंद्र सरकार के मुखिया को ही लक्ष्य बनाकर अपने सारे काम किए हैं।

कांग्रेस का यह प्रदर्शन भी उसी का एक हिस्सा है। अगस्ता वेस्टलैंड मामले में सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि यह घोटाला हुआ कैसे? तो इसमें सबसे पहली बात तो यह है कि जिस राशि में वास्तविक सौदा होना था। अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर खरीदने के लिए उससे ज्यादा राशि दी गई। इसमें सबसे प्रमुख जानकारी जो माध्यमों से मिली है, वह यह है कि अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर की कीमत महज सौ या डेढ़ सौ करोड़ है, उसे साढ़े तीन सौ करोड़ में खरीदा गया। और सबसे बड़ा सवाल यह भी कि इटली की फिनमिकेनिका कंपनी की ओर से इस मामले में घूस की बड़ी रकम दी गई। हालांकि इसमें पूर्व वायुसेना प्रमुख त्यागी और गौतम खेतान के नाम सामने आए हैं, लेकिन यह डील वर्ष 2010 तक चली।
इस दौरान कंपनी के कई अधिकारियों ने भारत के चक्कर लगाए। इटली के न्यायालय ने यह साफ कर दिया है कि कंपनी के अधिकारियों ने केवल इस डील को तय करने के लिए दलाली की रकम देने के लिए ही अपने दौरे किए। यहां बात भी उल्लेख करने वाली है कि वर्ष 2007 में पूर्व वायु सेना प्रमुख त्यागी सेवानिवृत हो चुके हैं।
 

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