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अगस्ता मामले में बौखलाहट के राज

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 6 2016 10:13AM | Updated Date: May 6 2016 10:13AM
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-सुरेश हिंदुस्तानी
समसामयिक विषयों पर लिखते हैं।


भारत की राजनीति में अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले को लेकर जिस प्रकार से बयानबाजी की जा रही है, उससे संदेह के बादल उमड़ते घुमड़ते दिखाई देने लगे हैं। कांग्रेस द्वारा जिस प्रकार से केंद्र सरकार के मुखिया नरेंद्र मोदी को घेरने की कवायद की जा रही है, वह प्रथमदृष्टया यह प्रमाणित करती दिखाई दिखाई दे रही है कि देश के प्रमुख राजनीतिक दलों द्वारा इस भ्रष्टाचार वाले मामले में देश की जनता को गुमराह करने का भरपूर प्रयास किया जा रहा है। इसके अलावा अब तो इसमें विद्युतीय प्रचार माध्यमों के कुछ पत्रकार भी शामिल होते जा रहे हैं। इसमें राजदीप सरदेसाई और बरखा दत्त का नाम लिया जाने लगा है।

अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर के मामले में यह तो कांग्रेस की सरकारों के दौरान ही तय हो गया था कि इस सौदे में सब कुछ ठीक नहीं है। अब कांग्रेस की ओर से ताजा बयान यह आया है कि सरकार के पास सबूत हो तो सरकार कार्यवाही करे। लेकिन सबसे बड़ा सबूत तो कांग्रेस ने ही अपनी सरकार के कार्यकाल में ही दे दिया था। कांग्रेस ने जब डील निरस्त की, तब उसका आधार ही पर्याप्त सबूत माना जा सकता है। इटली की न्यायपालिका ने जब इस प्रकरण में कार्यवाई की, तब क्या यह भ्रष्टाचार का प्रमाण नहीं है। वह तो भला हो इटली का, नहीं तो कांग्रेस तो इस मामले में भी सरकार पर बदले की कार्यवाई का ठीकरा फोड़ देती। अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले मामले में कांग्रेस के बयानों से ऐसा लगता है कि कांग्रेस ने इस सौदेबाजी के लिए इटली को ही क्यों चुना ? जब कांग्रेस ने चुन ही लिया तो उसने बड़ी सफाई के साथ सौदेबाजी की। कांग्रेस द्वारा आज भी सफाई के साथ बचाव किया जा रहा है। कांग्रेस के नेता एंटनी का कहना है कि इटली के न्यायालय ने किसी भी कांग्रेस के नेता का नाम नहीं लिया है। लेकिन कांग्रेस के नेता को यह पता होना चाहिए कि विदेश से कोई भी डील बिना सकार की सहमति के नहीं हो सकती। अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर की डील में निश्चित ही सरकार की सहभागिता रही होगी।

हम जानते हैं कि किसी मामले में जितनी भी बयानबाजी की जाएगी, उससे उस मामले का मूल भाव ही समाप्त हो जाएगा। इसलिए इस मामले में कांग्रेस द्वारा जितनी बयानबाजी की जाएगी, वह देश के रक्षा मामालों के साथ अन्याय ही कहा जाएगा। वास्तव में होना यह चाहिए कि ऐसे मामलों में जांच के लिए कांग्रेस की तरफ से सरकार को पूरा साथ देना चाहिए, लेकिन ऐसा होता नहीं दिखाई देता।डील के समय जब कांग्रेस की सरकार थी, तब सरकार को यह तो पता ही होगा कि यह कौन है। क्योंकि अंतरराष्ट्रीय मामलों की डील करने में केन्द्र सरकार द्वारा नियुक्त व्यक्ति ही डील कर सकता है। अगर मध्यस्थ की भूमिका में ही हो, तो भी यह तो प्रमाणित हो ही जाता है कि सिगनोरा गांधी की भूमिका से दोनों देशों की सरकारें वाकिफ थीं। एक दस्तावेज मार्च 2008 में इस सौदे के मुख्य बिचौलिए क्रिसचन मिचेल द्वारा भारत में अगस्ता वेस्टलैंड के प्रमुख पीटर हुलेट को लिखा पत्र है। अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी से करार करते समय शर्तों का पूरी तरह से उल्लंघन भी सामने आया था। शर्तों में शामिल था कि कंपनी ह हेलीकॉप्टर के मूल उपकरणों का निर्माण करने वाली हो, लेकिन अगस्ता वेस्टलैंड के साथ ऐसा कुछ भी नहीं था। वह न तो मूल उपकरणों का निर्माण करती थी, और न ही शर्तों को पूरा करती थी। अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले में यह बात मानने योग्य है कि इसके करार में घोटाला हुआ है। इस बात से कांग्रेस पार्टी पार्टी का कोई भी नेता इनकार नहीं कर सकता। इटली के न्यायालय में इस मामले में अपने देश के दोषी व्यक्तियों को सजा सुनाई है। इसके अलावा इटली की न्यायालय के आदेश में सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस नेता अहमद पटेल, आॅस्कर फर्नांडीस और पूर्व एनएसए एमके नारायणन का नाम भी लिया है। फैसले में यह भी कहा गया कि 12 हेलीकॉप्टरों के इस करार को पूरा करवाने के लिए उस समय सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल को 18 मिलियन डॉलर दिए गए थे । जिसमें कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को कुल 125 करोड़ रुपए रिश्वत के तौर पर मिले।

घोटाले का पर्याय बन चुकी कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी समस्या यह है कि उसके राज में हुए घोटाले आज तब कांग्रेस का पीछा नहीं छोड़ रहे। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सबसे बड़ी पराजय का कारण भी भ्रष्टाचार ही था। कांग्रेस पार्टी का कोई भी नेता इस बात का दावा नहीं कर सकता कि उसके राज में भ्रष्टाचार नहीं हुआ। कांग्रेस की राजनीति करने वाले कई नेताओं की दिशा और दशा से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि जिन कांग्रेस के नेताओं के पास कोई भी व्यवसाय नहीं है, वह आज करोड़पति और अरबपति हैं। कांग्रेस के नेताओं ने यह संपत्ति भी बड़ी चालाकी से जोड़ी है। संपत्ति उनकी है, लेकिन उनका कहीं कोई नाम नहीं है। कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी आज विश्व की चौथी सबसे अमीर महिला हैं, लेकिन इनका कारोबार क्या है, यह आज तक अज्ञात है।
 

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