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पुरुषों की आॅनर किलिंग क्यों नहीं

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Apr 28 2016 1:53PM | Updated Date: Apr 28 2016 1:53PM
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-वीना नागपाल

पुरुषों की आॅनर किलिंग अर्थात परिवार के सम्मान को आहत करने के लिए उनका क्यों नहीं मारा जाता? महिलाओं और युवतियों को ही क्यों परिवार के सम्मान के नाम पर मारा जाता हैै? बहुत वाजिब सवाल है। इन्हें पाकिस्तान की एक उदीयमान महिला खिलाड़ी ने अपने साक्षात्कार के दौरान उठाया है। मारिया तूरपकाई वजीर पाकिस्तान की स्कैर्वेश खेल की चैंपियन हैं। उन्हें इसमें विश्व स्तर 54वां नंबर प्राप्त है, जो इस खेल में काफी मायने रखता है। वह पाकिस्तान के वजीरस्तान से हैं, जो कि बहुत परंपरावादी और कट्टर, रूढ़िवादी इलाका माना जाता है। मारिया वजीर बरसों तक पुरुष के वेश में अपने खेल के इस शौक में जुटी रहीं। उनके पिता ने उन्हें निरंतर खेलते रहने के लिए प्रेरित किया और आज वह विश्व स्तर पर अपनी पहचान बना सकी हैं। उन्हें कई बार मारने की चेतावनी मिली पर उन्होंने अपनी परवाह नहीं की। वजीर ने ‘‘ए डिफरेंट काइंड आॅफ डॉर’’ नाम से एक किताब भी लिखी है जिसमें उन्होंने अपने संघर्ष का वर्णन किया है।

अब हम मारिया तूरपफाई वजीर द्वारा आॅनर कीलिंग की बात पर आते हैं। उन्होंने कहा यह पुरुषों की जिम्मेदारी क्यों नहीं होना चाहिए कि महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार और अशिष्टता न हो। यदि पुरुष शिष्ट व अनुशासित होगा तो ही महिलाएं सुरक्षित और स्वतंत्रता से रह पाएंगी। यह पुरुष ही है जो समाज में सम्मान अथवा असम्मानजनक माहौल बनाता है। यह सीधी और सरल सी बात क्यों नहीं समझते कि वह ही समाज के लिए बिगडेÞ हुए और सरल सी बात क्यों नहीं समझते कि वह ही इतना अशिष्ट और अश्लील दुर्व्यवहार कर असुरक्षित वातावरण निर्मित करते हैं। क्या उनके इस व्यवहार से उनके व उनके परिवार को चोट नहीं पहुंचती? क्या उससे परिवार का सम्मान आहत नहीं होता। मारिया ने कहा कि यदि पाकिस्तान की महिलाओं को आॅनर कीलिंग की छूट मिले तो शायद पाकिस्तान में कोई पुरुष ही न बचे। इसे पाकिस्तान ही क्यों उन सारे समाजों में लागू कर देखा जाना चाहिए जिनमें आॅनर कीलिंग के नाम पर महिलाओं को मार दिया जाता है।

दरअसल इस तरह के पुरुषवादी और पुरुषत्व के अहंकार से भरे समाजों में पुरुष अपने लिए सारी छूट और स्वतंत्रता चाहता है और फिर इसी का सहारा लेकर अपने बेलगाम व्यवहार से महिला के साथ अशिष्टता कर उसे ही अपराधी और गुनहगार ठहराता है। तथाकथित परिवार के सम्मान के नाम पर स्वयं को मुक्त रखकर औरत के सिर पर ठीकरा फोड़ता है। यह कैसा न्याय है जिसमें अपराधी तो अपराध कर खुला घूमता रहे पर उसके द्वारा किए गए अशिष्ट व्यवहार का आरोप महिला झेले और मार दी जाएं। महिलाएं पर तमाम पाबंदियां इसलिए ही लगाई जाती हैं और उन्हें रूढ़ियों की जंजीरों में इसलिए जकड़ा जाता है कि यदि वह लिबरेटड (जागरूक) हो गई तो इस अन्याय को चलने नहीं देंगे।

मारिया वजीर की बात के साथ एक और बात गहराई से जुड़ी हुई है। मारिया ने  सोचा और निश्चित किया कि वह अपनी इस स्थिति को अपने तक ही सीमित नहीं रखेगी बल्कि अपने वतन की उन महिलाओं के लिए कुछ करेगी जो वंचित व पीड़ित तथा कठिन सहमा हुआ जीवन जी रही हैं। उसने मारिया तूरपकाई फंड बनाया है जो वजीरास्तान में महिलाओं व बच्चों को स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए काम कर रहा है। इसका यह सशक्त संदेश है कि सभी सफल महिलाएं यह निश्चय करें कि वह वंचित, पीड़ित और त्रस्त महिलाओं के लिए कुछ न कुछ अवश्य करेंगी तथा उनकी स्थिति को बेहतर से बेहतर बनाएंगी।
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