16 Apr 2024, 11:58:00 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

- आर.के. सिन्हा
- लेखक राज्य सभा सदस्य हैं।

यकीन मानिए कि आपके बच्चे रोज सुबह दूध के नाम पर जहर पी रहे हैं। इस कठोर सच्चाई को खुद केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने विगत 16 मार्च को लोकसभा में स्वीकार किया कि देश में बेचा जाने वाला 68 प्रतिशत दूध भारत के खाद्य नियामक द्वारा निर्धारित शुद्धता के पैमाने पर खरा नहीं उतरता, यानी देश दूध के नाम पर जहर गले के नीचे से उतार रहा है। डॉ. हर्षवर्धन ने संसद में माना कि अमृत को मिलावटखोर विष बना रहे हैं। दूध के लिए ये मानदंड सरकार के फूड रेगुलेटर भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने तय किए हैं। पूरे देश में दूध पर एक सर्वे किया गया था। जब देश भर से दूध के सैंपल उठा कर टेस्ट किए गए थे, ये नतीजे उसी सर्वे पर ही आधारित हैं। भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण के सर्वेक्षण के मुताबिक, दूध में पानी की मिलावट सबसे ज्यादा होती है, जिससे इसकी पौष्टिकता कम हो जाती है। अगर पानी में कीटनाशक और भारी धातुएं मौजूद हों तो ये सेहत के लिए खतरा हैं।

अफसोस कि मिलावट करने वालों में लिफाफाबंद दूध बेचने वाली मशहूर कंपनियां भी शामिल हैं। इसमें सफेदी व दूध जैसा प्राकृतिक रंग व झाग का प्रभाव देने के लिए डिटरजेंट पाउडर, कास्टिक सोड़ा व यूरिया तक मिलाए जाते हैं। और कई जगह तो 100 प्रतिशत नकली दूध बनाने के मामले भी सामने आए हैं। जाहिर है, इस तरह का नकली दूध पीने वालों से आप सहानुभूति ही रख सकते हैं । डा. हर्षवर्धन मुझे कुछ समय पहले बता रहे थे कि सरकार इस बात को सुनिश्चित करना चाहती है कि दूध में होने वाली मिलावटखोरी बंद हो जाए। इसी क्रम में उनके विभाग ने एक ऐसा स्कैनर तैयार किया गया है जो 40 सेकंड में दूध में मिलावट का पता लगा लेता है। यह मिलावट की अत्यंत कम मात्रा पकड़ने में भी सक्षम है। इससे एक जांच पर मात्र 50 पैसे के लगभग खर्च आता है। उन्होंने  सांसदों को उनकी सांसद निधि से अपने क्षेत्र के लिए यह स्कैनर खरीदने का सुझाव भी दिया है। मैं बिहार में यह अमल करने की योजना भी बता रहा हूं। परंतु इतना ही काफी नहीं है।

दूध में मिलावट रोकने के लिए व्यापक स्तर पर कार्रवाई करने और दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने की आवश्यकता है, ताकि मिलावटखोरों को डर रहे कि उन्हें मिलावट करने पर सख्त सजा मिलेगी, जिसके कि वे दूध के नाम पर जहर पिलाना बंद कर दें। दूध में होने वाली मिलावट को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी चिंतित है। सुप्रीम कोर्ट ने मिलावटी दूध तैयार करने और इसकी बिक्री करने वालों को उम्र कैद की सजा देने की हिमायत करते हुए 6 दिसंबर, 2013 को दिए अपने एक फैसले में राज्य सरकारों से कहा है कि इस संबंध में कानून में उचित संशोधन किया जाए। न्यायमूर्ति के.एस.राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति ए.के.सीकरी की खंडपीठ ने कहा कि इस अपराध के लिए खाद्य सुरक्षा कानून में प्रदत्त छह महीने की सजा अपर्याप्त है। न्यायाधीशों ने अन्य राज्यों से कहा कि उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और ओडिशा की तरह उन्हें भी अपने कानून में उचित संशोधन करना चाहिए। कोर्ट ने दूध में मिलावट के खिलाफ दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई  के बाद सरकार को दूध में मिलावट की रोकथाम का निर्देश दिया जिसका कई राज्यों में अमल हो रहा है। उत्तर भारत के कई राज्यों में दूध में सिंथेटिक पदार्थ मिलाए जा रहे हैं, जिनसे लोगों के स्वास्थ्य और जीवन को गंभीर खतरा उत्पन्न हो रहा है। इस केस की सुनवाई के दौरान कोर्ट जानना चाहता था कि राज्य सरकारें इस समस्या से निबटने और दूध में मिलावट पर रोक लगाने के लिए क्या कदम उठा रही हैं?

चीन में कुछ साल पहले ही दूध में मिलावट करने वालों को मौत की सजा देने की व्यवस्था कर दी गई है। कुछ दोषियों को फांसी पर लटकाया भी गया। उसके बाद सब लाइन पर आ गए। क्या हम कभी इस तरह का कानून बना सकेंगे? बेशक देश को जहर खिलाने-पिलाने वालों के खिलाफ कड़े से कड़े कानून बनने चाहिए। इन्हें मौत की सजा भी दी जाए तो कम होगी। यह वास्तव में राष्ट्र की चिंता का मसला है कि भारत के तीन में से दो नागरिक  कॉस्टिक सोड़ा, यूरिया और पेंट मिला दूध पीते हैं।  देश में 5 राज्य ऐसे थे जहां से आए दूध के सभी सैंपलों में मिलावट थी। 100 फीसदी मिलावटी सैंपल देने वाले राज्य थे बिहार, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और मिजोरम। जबकि, गुजरात के 89 फीसदी सैंपल मिलावटी थे। वहीं जम्मू कश्मीर के 83 फीसदी सैंपल, पंजाब के 81 फीसदी, राजस्थान के 76 फीसदी दिल्ली, हरियाणा के 70 फीसदी और महाराष्ट्र के 65 फीसदी सैंपल मिलावटी दूध के थे। वहीं, मिलावटी दूध के दानव का सबसे कम असर आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में पाया गया था, यानी हिंदी पट्टी में मिलावटी दूध के गुनाहगार मौज कर रहे हैं।

मिलावटी दूध का शरीर पर गहरा दुष्प्रभाव पड़ सकता है। इसके चलते दिल के रोग और  कैंसर तक हो सकते है। यही नहीं, ऐसा दूध आंख से लेकर आंत तक दिल से लेकर प्रजनन क्षमता तक सब पर असर डालेगा। जो सेहतमंद इनसान को बीमार बना डालेगा। यानी इस कारण लोगों में अनेक गंभीर बीमारियों के पनपने का खतरा पैदा हो गया है, जिनसे व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। अब बताइए कि मिलावटखोरों को क्यों छोड़ा जाए? ये तो पूरे देश को बीमार कर रहे हैं।  बड़ा सवाल ये है कि संबंधित सरकारी महकमें क्या कर रहे हैं मिलावट खोरों को पकड़ने के लिए? आखिर कानून में क्या परिभाषा है मिलावट करने वालों की? क्या मौजूदा कानूनों से मिलावटखोरी पर रोक लगाने की संभावनाएं समाप्त हो चुकी हैं? भारत सरकार और राज्य सरकारों को इस पर तत्काल कार्रवाई करनी होगी और गांव-गांव में पशु आधारित कृषि कैसे वापस हो इसके लिए प्रयास करने होंगे। इससे दूध उत्पादन की क्षमता बढ़ेगी। पशु आधारित कृषि होने से किसान उर्वरकों और कीटनाशकों के जाल से मुक्त हो सकेगा और भरपूर दूध भी मिलेगा।
 

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