29 Mar 2024, 16:10:53 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-वीना नागपाल

डयूक व डचेस आॅफ कैम्ब्रिज प्रिंस विलियम और कैथरीन मिडलटन भारत की यात्रा के दौरान विभिन्न स्थानों पर गए और वह जहां भी गए बेहद खुश दिखे। इसी सिलसिले में ब्रिटिश हाई कमिश्नर के निजी संस्थान में एक आयोजन किया गया, जिसमें प्रिंस व राजकुमारी केट से मिलने वाले अति वीवीआईपी व्यक्ति आमंत्रित थे। जाहिर है इस आयोजन में राजकुमार विलियम्स को संबोधन तो देना ही था। प्रिंस ने अपने संबोधन में कहा - मैं यहां पर महारानी के प्रतिनिधि के  रूप में ही आया हंू। वह मेरी दादी मां हैं पर, वही असली बॉस हंै। ‘‘उनके इस व्यक्तव्य पर आमंत्रितों में हंसी की लहर उठी’’। इसके बाद उन्होंने इंग्लैंड की महारानी का संदेश पढ़कर सुनाया और फिर कहा- अब मैं दादी मां से कह सकता हूं कि उनके द्वारा सौंपी गई ड्यूटी को मैंने भली प्रकार निभा दिया।

जब कोई सम्मानीय व प्रतिष्ठित पद पर बैठा व्यक्ति बहुत सहजता से पारिवारिक संबंधों और घरेलू व्यवहार की कोई बात कहता है तो बहुत अच्छा लगता है। आजकल जिस तरह से घरों में संस्कारित व्यवहार समाप्त हो रहे हैं वह एक ऐसी शून्यता बना रहा है जिसे भविष्य में भर पाना कठिन होगा। मानव सभ्यता में ही संबंधों की सौगात मौजूद होती है। प्राणी जगत में मनुष्य ही इतना भाग्यशाली है जो जीवनभर अपने संबंधों से ऊर्जा पाता है और अपना सुख-दु:ख उनसे बांट पाता है। यह बहुत बड़ा वरदान है। एक परिवार में प्रत्येक आयु के सदस्य मौजूद रहते हैं और उनमें स्नेह की अविरल धारा निरंतर बहती रहती है। जब प्रिंस विलियम्स ने अपनी 90 वर्षीय दादी मां जो वर्तमान में इंग्लैंड की महारानी हैं के प्रति अपने उत्तरदायित्व की बात कही तो अपने-अपने परिवारों की दादी मां की छवि इस बात को सुनकर सबको याद आई होगी। अब भी संस्कारित परिवारों में दादी का परिचय घर की मुखिया के रूप में ही कराया जाता है।

घर के बड़े-छोटे अपने-अपने क्रिया-कलापों की बातें उन्हें बताते हैं और उनसे परामर्श व निर्देश भी लेते हैं। यदि वह अपनी आयु के बावजूद सचेत हैं तो उनके परामर्श का आदर भी किया जाता है। पिछले दिनों एक परिवार ने जब अपने पुत्र का संबंध कहीं तय करना था तो उन्होंने संबंध करने वाले परिवार को यह बता दिया था कि हमारी दादी मां की अनुमति के बिना यह रिश्ता तय नहीं हो पाएगा। आश्चर्य की बात तो यह है कि आजकल पता नहीं कैसे दादी मां के विचारों और धारणाओं में भी इतना परिवर्तन आ गया है कि वह नए माहौल के अनुरूप ही अपनी सहमति या असहमति प्रकट करती हैं। यह बात तो निश्चित है कि यदि हम अपने डीएनए की थ्योरी को मानते हैं तो उसमें दादी मां का बहुत बड़ा रोल है। हमने उनसे बहुत कुछ पाया है और सीखा है। हम चाहें भी तो ऋण से मुक्त नहीं हो सकते, जिसमें हमारे स्वरूप को बनाने में दादी मां का बहुत अहम रोल है।

यह तथ्य है कि हम अपनी दादी मां के स्नेह और आशीर्वाद से न जाने कितनी ऊंचाइयों को छूलें पर, हम इन सारे सौपानों पर चढ़ते हुए उनके प्रति अपने कर्तव्यों और उत्तरदायित्वों को न भूलें। भले ही आज वह अपनी उम्र के कारण घर की बॉस न लगती हों, पर हम उन्हें यह अहसास निरतंर करवाते रहें कि वह अब भी बॉस हैं। उनके कारण ही परिवार के सारे क्रिया-कलाप इतने सुचारू रूप से चल रहे हैं। यदि ईश्वर ने लंबी उम्र तक बुजुर्गों को हमारे बीच न रहने दिया होता तो यह पारिवारिक व्यवस्था व इसके स्नेह बंधन तथा इनका परस्पर जुड़ाव बचा नहीं रहता। प्रिंस विलियम्स ने जिस प्रकार अपनी दादी मां को बॉस माना इसी प्रकार परिवारों में उपस्थित अपनी-अपनी दादी मां को वही आदर व सम्मान दिया जाए।
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