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महावीर हैं जीवन की सार्थकता के प्रतीक

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Apr 19 2016 11:15AM | Updated Date: Apr 19 2016 11:15AM
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-ललित गर्ग
समसामयिक विषयों पर लिखते हैं।

भगवान महावीर का संपूर्ण जीवन स्व और पर के अभ्युदय की जीवंत प्रेरणा है। लाखों-लाखों लोगों को उन्होंने अपने आलोक से आलोकित किया है। इसलिए महावीर बनना जीवन की सार्थकता का प्रतीक है। प्रत्येक वर्ष भगवान महावीर की जयंती हम मनाते हैं। भगवान महावीर की शिक्षाओं का हमारे जीवन और विशेषकर व्यावहारिक जीवन में किस प्रकार समावेश हो और कैसे हम अपने जीवन को उनकी शिक्षाओं के अनुरूप ढाल सकें, यह अधिक आवश्यक है लेकिन इस विषय पर प्राय: सन्नाटा देखने को मिलता है। उनके अनुयाई ही महावीर को भूलते जा रहे हैं, उनकी शिष्याओं को ताक पर रख रहे हैं। आज मनुष्य जिन समस्याओं से और जिन जटिल परिस्थितियों से घिरा हुआ है उन सबका समाधान महावीर के दर्शन और सिद्धांतों में समाहित है। जरूरी है कि हम महावीर ने जो उपदेश दिए उन्हें जीवन और आचरण में उतारें। हर व्यक्ति महावीर बनने की तैयारी करे, तभी समस्याओं से मुक्ति पाई जा सकती है। महावीर वही व्यक्ति बन सकता है जो लक्ष्य के प्रति पूर्ण समर्पित हो, जिसके मन में संपूर्ण प्राणिमात्र के प्रति सहअस्तित्व  की भावना हो। जो पुरुषार्थ के द्वारा न केवल अपना भाग्य बदलना जानता हो। 
महावीर  वे जन्म से महावीर नहीं थे। उन्होंने जीवन भर अनगिनत संघर्षों को झेला, कष्टों को सहा, दुख में से सुख खोजा और गहन तप एवं साधना के बल पर सत्य तक पहुंचे, इसलिए वे हमारे लिए आदर्शों की ऊंची मीनार बन गए। उन्होंने समझाया कि महानता कभी भौतिक पदार्थों, सुख-सुविधाओं, संकीर्ण सोच एवं स्वार्थी मनोवृत्ति से नहीं प्राप्त की जा सकती उसके लिए सच्चाई को बटोरना होता है, नैतिकता के पथ पर चलना होता है और अहिंसा की जीवन शैली अपनानी होती है। सबसे पहले ‘अहिंसा परमो धर्म:’ का प्रयोग हिंदुओं का ही नहीं बल्कि समस्त मानव जाति के पावन ग्रंथ ‘महाभारत’ के अनुशासन पर्व में किया गया था। अहिंसा के साथ भगवान महावीर का नाम ऐसा जुड़ गया कि दोनों को अलग कर ही नहीं सकते। अहिंसा का सीधा-साधा अर्थ करें तो वह होगा कि व्यावहारिक जीवन में हम किसी को कष्ट नहीं पहुंचाएं। दूसरे व्यक्तियों से ऐसा व्यवहार करें जैसा कि हम उनसे अपने लिए अपेक्षा करते हैं। भगवान महावीर का एक महत्वपूर्ण संदेश है ‘क्षमा’ भगवान महावीर ने कहा कि मैं सभी से क्षमा याचना करता हूं। मुझे सभी क्षमा करें। मेरे लिए सभी प्राणी मित्रवत हैं।

मेरा किसी से भी बैर नहीं है। यदि भगवान महावीर की इस शिक्षा को हम व्यावहारिक जीवन में उतारें तो फिर क्रोध एवं अहंकार मिश्रित जो दुर्भावना उत्पन्न होती है और जिसके कारण हम घुट-घुट कर जीते हैं, वह समाप्त हो जाएगी। व्यावहारिक जीवन में यह आवश्यक है कि हम अहंकार को मिटाकर शुद्ध हृदय से आवश्यकता अनुसार बार-बार ऐसी क्षमा प्रदान करें कि यह भावना हमारे हृदय में सदैव बनी रहे।  जिंदगी की भागदौड़ का एक मकसद बन गया है- संग्रह करो, भोग करो। महावीर की शिक्षाओं के विपरीत हमने मान लिया है कि संग्रह ही भविष्य को सुरक्षा देगा। जबकि यह हमारी भूल है। जीवन का शाश्वत सत्य है कि इंद्रियां जैसी आज है भविष्य में वैसी नहीं रहेगी। पिफर आज का संग्रह भविष्य के लिए कैसे उपयोगी हो सकता है। क्या आज का संग्रह कल भोगा जा सकेगा जब हमारी इंद्रिया अक्षम बन जाएंगी।  महापुरुष सदैव प्रासंगिक रहते हैं। कौन बता सकता है सूर्य कब अप्रासंगिक बना? चंद्रमा कब अप्रासंगिक बना? सूर्य केवल दिन को प्रकाशित करता है और चंद्रमा केवल रात्रि को, किंतु भगवान महावीर का दिव्य-दर्शन अहर्निश मानव-मन को आलोकित कर रहा है। भगवान महावीर सचमुच प्रकाश के तेजस्वी पुंज और सार्वभौम धर्म के प्रणेता हैं। वे इस सृष्टि के मानव-मन के दु:ख-विमोचक हैं। पदार्थ के अभाव से उत्पन्न दु:ख को सद्भाव से मिटाया जा सकता है, श्रम से मिटाया जा सकता है किंतु पदार्थ की आसक्ति से उत्पन्न दुख को कैसे मिटाया जाए?

इसके लिए महावीर के दर्शन की अत्यंत उपादेयता है। भगवान महावीर ने व्रत, संयम और चरित्रा पर सर्वाधिक बल दिया था और पांच लाख लोगों को बारहव्रती श्रावक बनाकर धर्म क्रांति का सूत्रपात किया था। यह सिद्धांत और व्यवहार के सामंजस्य का महान प्रयोग था। जीव बलवान है या कर्म-इस जिज्ञासा के समाधान में भगवान महावीर ने कहा कि अप्रमत्तता की साधना से जीव बलवान बना रहता है और प्रमाद से कर्म। इस प्रकार भगवान महावीर ने साधना का संपूर्ण भाव प्रस्तुत कर दिया। जीव का शयन अच्छा है या जागरण-इस प्रश्न के समाधान में उन्होंने कहा कि पाप में प्रवृत जीवों का शयन अच्छा है और धर्म परायण जीवों का जागरण। इस तरह भगवान ने प्रवृत्ति और निवृत्ति दोनों का समर्थन किया। भगवान महावीर का संपूर्ण जीवन तप और ध्यान की पराकाष्ठा है इसलिए वह स्वत: प्रेरणादायी है। भगवान के उपदेश जीवनस्पर्शी हैं जिनमें जीवन की समस्याओं का समाधान निहित है। भगवान महावीर चिन्मय दीपक हैं। दीपक अंधकार का हरण करता है किंतु अज्ञान रूपी अंधकार को हरने के लिए चिन्मय दीपक की उपादेयता निर्विवाद है।

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