25 Apr 2024, 18:15:59 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-कृष्णमोहन झा
लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं


जम्मू कश्मीर में एक बार फिर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और भारतीय जनता पार्टी ने मिलकर साझा सरकार का गठन कर लिया है जिसके मुख्यमंत्री पद की बागडोर मेहबूबा मुफ्ती ने काफी नानुकुर के बाद  संभाली है। अभी भी यह स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता कि मेहबूबा मुफ्ती और भाजपा के बीच किन शर्तों पर समझौता हुआ है परंतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई मुलाकात के बाद ही उनका मुख्यमंत्री पद की बागडोर थामने के लिए राजी होना इस बात का संकेत है कि वे मुख्यमंत्री की गद्दी पर बैठने के पूर्व केंद्र सरकार से कुछ ठोस आश्वासन अवश्य चाहती थीं जिसके लिए वे तीन माह तक प्रतीक्षा करती रही और भाजपा की ओर से राष्ट्रीय महासचिव राममाधव शायद यह आश्वासन उन्हें नहीं दे सके होंगे लेकिन इतना तो तय है कि अगर मेहबूबा मुफ्ती मुख्यमंत्री पद की बागडोर संभालने के लिए राजी नहीं होती तो वे अपने ऊपर लग रहे इन आरोपों का खंडन करने की स्थिति में कभी नहीं आती कि उनके अंदर त्वरित फैसले लेने की क्षमता का अभाव है। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने तो उन पर यह तंज कस ही दिया था कि वे मुख्यमंत्री बनने के सवाल पर निर्णय लेने में इतना वक्त लगा रही है तो पता नहीं मुख्यमंत्री बनने के बाद क्या करेंगी।

मेहबूबा मुफ्ती को मुख्यमंत्री के रूप में अब यह साबित करना है कि वे अपने दिवंगत पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद की राजनीतिक विरासत को  सहेजने में पूरी तरह समर्थ और सक्षम हैं। वे राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री है और उनकी छवि अभी तक एक सख्त मिजाज राजनेता की रही है। अब देखना यह है कि वे किस तरह एक महिला मुख्यमंत्री के रूप में अपनी उस छवि को बरकरार रख पाती है। निश्चित रूप से उनसे यह अपेक्षा की जा रही है कि वे राज्य के बाकी पूर्व मुख्ममंत्री से कुछ अलग कर दिखाएंगी। वैसे अलगाववादी नेताओं के साथ अभी तक उनकी जो सहानुभूति रही है उसे देखते हुए भाजपा जैसे राष्ट्रवादी दल के साथ तालमेल बिठाकर सरकार चलाना उनके लिए आसान नहीं होगा क्योंकि भाजपा ने पिछले तीन महीनों में उन्हें इस हकीकत का अहसास तो करा ही दिया है कि वह राज्य में पहली बार नसीब हुए सत्ता सुख से वंचित होना तो पसंद कर लेगी परंतु राष्ट्रवाद के सिद्धांत से समझौता करना कतई पसंद नहीं करेगी।

टी-20 क्रिकेट के वर्ल्डकप के सेमीफाइनल मैच में भारतीय टीम के पराजित होने के बाद श्रीनगर स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) में जो अप्रीय दृश्य उपस्थित हुआ उसमें राज्य पुलिस की भूमिका को लेकर दोनों दलों के बीच संदेह की स्थिति बन चुकी है। बताया जाता है कि उक्त मैच में भारतीय टीम के हारने के बाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के परिसर में कुछ कश्मीरी छात्रों ने खुलेआम खुशिया मनाई और अपनी खुशी का इजहार उन्होंने पटाखे फोड़कर किया। इस राष्ट्र विरोधी हरकत का बाहरी छात्रों ने विरोध करते हुए जब भारत माता की जय के नारे लगाए तो स्थानीय छात्रों ने उनके साथ मारपीट की और पुलिस मूकदर्शक बनी देखती रही। बाहरी छात्रों का आरोप है कि पुलिस ने मारपीट करने वाले स्थानिय छात्रों का साथ दिया। इस संस्थान में पढ़ाई के लिए दूसरे राज्यों से आए छात्रों की मांग है कि एनआईटी के कुछ अधिकारियों का तबादला किया जाए और उनकी कथित राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता के लिए उनके विरूद्ध कार्रवाई की जाए। 

यहां सवाल यह उठता है कि आखिर टी-20 क्रिकेट के सेमीफाइनल में वेस्टइंडीज के हाथों भारत की पराजय के बाद स्थानीय छात्रों का पटाखे फोड़कर खुशिया मनाना स्थानीय प्रशासन को गलत क्यों महसूस नहीं हुआ और अगर भारत माता की जय के नारे लगाकर बाहरी छात्रों ने राष्ट्र भक्ति का परिचय दिया तो उन्हें पुलिस का कोप भाजन क्यों बनना पड़ा। मुख्यमंत्री के रूप में मेहबूबा मुफ्ती की सरकार ऐसे राष्ट्रविरोधी तत्वों के खिलाफ कितना सख्ती से पेश आती है इसी बात से सरकार का स्थायित्व संभव हो सकेगा। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की एक टीम श्रीनगर पहुंचकर सारी घटना की जांच में जुट गई है।  मुख्यमंत्री ने उन्हें बाहरी छात्रों की सुरक्षा का भरोसा दिलाया है। मेहबूबा मुफ्ती ने यह भरोसा भी दिलाया है कि सभी छात्र सुरक्षित है और वह इस बात का पता लगाएगी कि परिसर में इस तरह की घटना क्यों हुई और इसके लिए कौन जिम्मेदार है। एनआईटी में हुई उक्त अवांछनीय घटना ने निश्चित रूप से विरोधी दलों को सरकार पर आक्रमण का मौका उपलब्ध करा दिया है।  ऐसी अप्रिय घटनाएं निश्चित रूप से भाजपा और पीडीपी के संबंधों पर आसर डाल सकती है और भाजपा को भी बचाव की मुद्रा में आने के लिए विवश कर सकती है।  भाजपा और पीडीपी दोनों को परस्पर विश्वास और सहयोग के जरिए ऐसी ताकतों को परास्त करने की नीति पर चलना होगा तभी राज्य में अमन चैन और विकास का माहौल निर्मित होने की संभावनाएं बलवती हो सकती है।
 

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