26 Apr 2024, 01:54:38 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

- विष्णुगुप्त
समसामयिक विषयों पर लिखते हैं।

दुनिया के विकसित और उपनिवेशिक देशों के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के सुरक्षा परिषद का वीटो अधिकार का अब तक समीक्षा न होना लोकतांत्रिक दुनिया के लिए सबसे खतरनाक बात है, वीटो के अराजक अधिकार से दुनिया की शांति को खतरा है, दुनिया में हिंसा के लिए वीटो का अधिकार हथकंडा बन रहा है। वीटो के अधिकार का प्रयोग विकसित और उपनिवेशिक देश अपनी करतूत को साधने, विकासशील और गरीब दुनिया को लूटने, उन्हें प्रताड़ित करने और उनके प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा करने के लिए किया जाता है। इराक में प्रहारक हथियार नहीं होने के बावजूद अमेरिका ने इराक पर हमला कर मानवता पर कलंक लगाया था। सोवियत रूस ने कई स्वतंत्र देशों जैस चेकस्लोवाकिया, अफगानिस्तान पर कब्जा कर नरसंहार पर नरसंहार किये थे। फ्रांस, ब्रिटेन जैसे यूरोपीय देशों ने अफ्रीका के खनिज संपदाओं को लूटने, दक्षिण अफ्रीका में वर्षों-वर्षों तक रंगभेद कायम रखने जैसे कुकृत्य किये थे। ये सभी देश ऐसा इसलिए करने में सफल हुए थे कि इनके पास अराजक वीटो का अधिकार था। संयुक्त राष्ट्रसंघ में अपने खिलाफ होने वाले निर्णयों पर ये देश वीटो कर देते हैं, इस कारण ये देश संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा होने वाली कार्यवाईयों से साफ बच जाते हैं। दुनिया को लोकतांत्रिक बनाने में वीटो का अधिकार निश्चित तौर खलनायक की भूमिका निभाता है।

हाल के वर्षों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस वीटो के अधिकार पर कुछ ज्यादा ही संवेदनशील हुए हैं। पर चीन और रूस जैसे देश वीटो के अधिकार को लेकर कुछ ज्यादा ही अराजक हुए हैं, हिंसक हुए हैं, उपनिवेशिक मानसिकता से ग्रसित हुए हैं, बिना वीटोधारी देशों को डराने-धमकाने, उनकी आवाज कुचलने के लिए वीटो का प्रयोग कर रहे हैं। रूस को ही देख लीजिये। रूस ने संयुक्त राष्ट्रसंघ के बिना स्वीकृति के ही सीरिया में सैनिक हस्तक्षेप कर डाला, हजारों निर्दाेष नागरिकों को मौत का घाट उतार दिया। अगर रूस के पास वीटो का अधिकार नहीं होता तो निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि वह कभी भी सीरिया में हिंसक, बर्बर और अमानवीय सैनिक हस्तक्षेप नहीं कर सकता था। यह अलग बात है कि रूस यह कहता रहा है कि वह आईएस को निपटाने के लिए सीरिया में सैनिक हस्तक्षेप किया था। युक्रेन के एक प्रदेश पर भी रूस ने सरेआम कब्जा कर संयुक्त राष्ट्रसंघ की संहिता का उल्लंधन किया है। कम्युनिस्ट तानाशाही और अराजक सामरिक शक्तिवाला देश चीन तो वीटो का दुरुपयोग करने में अमेरिका, रूस जैसे देशों को भी पीछे छोड़ दिया है। चीन कहने के लिए अपने आप को कम्युनिस्ट देश कहता है, चीन अपने आप को गैर उपनिवेशिक देश कहता है, चीन अपने आप को समानता पर आधारित कूटनीतिक मानसिकता वाला देश कहता है पर सही अर्थों में चीन एक बर्बर देश है, चीन एक अमानवीय देश है, चीन एक उपनिवेशिक मानसिकता वाला देश है, चीन एक लुटेरा देश है, दुनिया की प्राकृतिक संसाधनों पर चीन की गिद्ध दृष्टि रहती है, भारत की आर्थिक शक्ति, भारत की सामरिक शक्ति, भारत की कूटनीतिक शक्ति चीन को किसी भी परिस्थिति में पसंद नहीं है।

चीन ने सूडान की प्राकृतिक शक्ति पर कब्जा करने के लिए सूडान की तानाशाही और बर्बर सत्ता को सैनिक कवच उपलब्ध कराया है। चीन सागर में चीन ने कई देशों को आंतकित कर छोड़ा है। फिलिपींस, कंबोडिया, वियतनाम, जापान के कई समुद्री द्वीपों पर कब्जा कर रखा है। चीन अपनी बर्बर सैनिक शक्ति का भय फिलिपींस, कंबोडिया, वियतनाम और जापान को दिखाता रहा है। चीन ने अमेरिका के विरोध के बावजूद चीन सागर में कई कृत्रिम द्वीप भी बनाए हैं। चीन पर अतंरराष्ट्रीय संस्थाएं इसलिए कार्यवाई करने के लिए लाचार की स्थिति में हैं क्योंकि चीन के पास वीटो का अधिकार है। चीन दुनिया की शांति को संकट में डालने वाले, हिंसक भाषा बोलने वाले, हिंसक मानसिकता से ग्रसित देशों को वीटो की कसौटी संरक्षण देने में आगे रहा है। अब यहां यह सवाल है कि हिंसक मानसिकता वाले, दुनिया की शांति को संकट में डालने वाले देश कौन-कौन है जिन्हें चीन ने वीटो की कसौटी पर संरक्षण देने का काम किया है। उत्तर कोरिया, ईरान, पाकिस्तान और सूडान जैसे हिंसक देश है जिनके लिए दुनिया की शांति कोई अर्थ नहीं रखता है, जिनके लिए बातचीत से समस्याएं और कूटनीतिक विवाद दूर करने का सिद्धांत कोई अर्थ नहीं रखता है। उत्तर कोरिया के खतरनाक परमाणु कार्यक्रम को चीन का संरक्षण प्राप्त है। चीन ने कोई एक बार नहीं बल्कि कई बार उत्तर कोरिया के समर्थन में संयुक्त राष्ट्रसंघ में वीटो के अधिकार का दुरुपयोग किया है। पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों को भी चीन वीटो की कसौटी पर संरक्षण देने से पीछे नहीं हटता है। जब भी भारत संयुक्त राष्ट्रसंघ में पाकिस्तान को घसीटने की कोशिश करता है तब चीन अपने वीटो का दुरुपयोग कर भारत के प्रयास को विफल कर देता है। दुनिया की शांति को पाकिस्तान ने किस प्रकार से खतरे में डाला है, दुनिया में पाकिस्तान ने अपने पाले हुए आतंकवादियों से किस प्रकार से हिंसा फैलाई  है, यह सब जगजाहिर है। अभी हाल ही में चीन ने संयुक्त राष्ट्रसंघ में मसूद अजहर और उसके आतंकवादी संगठन जैस-ए-मोहम्मद पर प्रतिबंध लगाने की भारत की कोशिश को विफल कर दिया। चीन का कहना था कि भारत के प्रयास में कमी है पर चीन ने यह नहीं बताया कि कौन सी कमी थी। दरअसल चीन का पाकिस्तान प्रेम और आतंकवाद प्रेम दुनिया के सामने उजागर हो गया। चीन भारत को डराने-धमकाने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की आवाज को कुचलने के लिए वीटो का दुरुपयोग करता है। भारत ने इसके खिलाफ अपना विरोध दर्ज करा कर अच्छा कार्य किया है। भारत की सत्ता पर समर्पणकारी व्यक्ति नहीं बैठा है। चीन को ऐसी गलती और दुस्साहस पर भारतीय जवाब मिलता रहेगा। चीन से वीटो का अधिकार छीना जाना चाहिए क्योंकि चीन अपने वीटो के अधिकार का दुरुपयोग दुनिया की शांति को खतरे में डालने और अपनी करतूत को संरक्षण देने में करता है।

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