25 Apr 2024, 15:09:54 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-वीना नागपाल

मुंबई में डांस बार चलते थे। नृत्य बालाएं (उन्हें सम्मान देकर यही संबोधन देना चाहिए) नृत्य करती थीं। फिल्मों में जो चलताऊ और उत्तेजना से भरे आयटम सांग्स पर जो अभिनेत्रियां जिस प्रकार नाचती, इठलाती और तरह-तरह के शारीरिक निमंत्रण देती हुईं मुद्राएं बनाती बिल्कुल उसी तरह या उनसे एक कदम आगे बढ़कर यह बार नृतकियां बार में फ्लोर्स पर नाचतीं। पर, बार मालिक उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी लेता और कोई भी बार में आने वाला ग्राहक उनसे अशिष्टता नहीं कर सकता था। वह सिर्फ रातभर उस बार में नाचतीं और अपने परिवार का भरण-पोषण करतीं। क्या आपने बनारस, लखनऊ, कानपुर अथवा पुराने जमाने के अवध के उस ऐतिहासिक समय के बारे में जाना और पढ़ा या समझा है जिसमें कोठे वालियां होती थीं। गातीं व नृत्य करतीं पर उन्हें कोई छू भी नहीं सकता था। उन पर कड़ा पहरा होता था। उस जमाने के नवाब और राजे-रजवाड़े इनके कोठे पर आते। उनका गाना व नृत्य देखते व सुनते और इन कोठेवालियों की मेहमान नवाजी की शिष्टता पर निहाल होते और उन पर अपना सब कुछ लुटा देते। उससे भी बहुत पहले नगर वधुओं का भी एक युग था, जो केवल नृत्य व गायन की अद्भुत कलाकार थीं और उन पर अपना सबकुछ लुटा देते। उससे भी बहुत पहले नगर वधुओं का भी एक युग था जो केवल नृत्य व गायन की अद्भुत कलाकार थीं और उनकी आतिथ्य शिष्टता असीमित होती। उस युग की आम्रपाली और मुगलकाल की अमराव जान इस नफासत का उदाहरण हंै जिन्हें न केवल अपनी सुंदरता बल्कि अपने नाजो- अंदाज पर बहुत गर्व था।

डांस बार की नृत्य बालाएं इसी क्रम की परशोषित और मजबूर कड़ी हैं जो अपनी गरीबी और गुरब्त के कारण इस तरह रातभर केवल फूहड़ अंदाज से रातभर नाचती हैं। एक समय मुंबई के शासन (वहीं सबसे अधिक डांस बार थे) ने इन डांस बार पर रोक लगा दी। डांस बार के मालिकों और डांस बार नाचने वाली बालाओं की रोजी-रोटी बंद हो गई। बहुत कुछ उन्हें सहन करना पड़ा। वह तो पहले से ही गरीब और मजबूर परिवारों से थीं उन्हें खाने के भी लाले पड़ गए। कइयों के बच्चे थे जो स्कूलों में पढ़ते थे, उनकी पढ़ाई बंद हो गई। एक डांस बार की नर्तकी ने एक पत्रकार को अपना साक्षात्कार देते हुए बताया था कि उसका बेटा व बेटी एक नामी-गिरामी पब्लिक स्कूल में पढ़ते हैं। उसके पति को टीबी है। उसका महंगा उपचार करवा रही हूं, पर आज मेरे पास खाने की भी जुगाड़ नहीं है। डांस बार मालिकों ने न्यायालय में याचिका लगाई और हाईकोर्ट ने उन्हें डांस बार चलाने व डांस बालाओं को उसमें नृत्य करने की छूट दे दी।

मजबूर होकर महाराष्ट्र सरकार को इसकी अनुमति देना पड़ी। ऐसा नहीं है कि इसकी खुली व स्वतंत्र छूट दी गई है। कई पाबंदियों और सख्ती भरे नियमों के अंतर्गत ही इन्हें खोला जा सकता है और इनमें डांस बार बालाएं नृत्य कर सकती हैं। इन पाबंदियों और सख्त नियमों का कड़ाई से पालन और आदर किया जाना चाहिए। यह किसी महिला की सुरक्षा की पूरी व्यवस्था  करते हैं। पिछले दिनों एक डांस बार बाला ने मराठी भाषा में अपने अनुभवों पर आधारित एक पुस्तक लिखी और वह बहुत चर्चित हुई। उसमें उसने एक मुख्य बात कही कि गुजरे जमाने की नर्तकियों और कोठेवालियों की तरह डांस बार की बालाएं शिष्ट व शालीन नृत्य की ही प्रस्तुति दें। इसका प्रशिक्षण लें और उत्तेजक व अशालीन आयटम नंबर्स पर नाचने से बचें। इस प्रकार नृत्य विधा भी बची रहेगी और अशिष्ट मुद्राएं भी प्रस्तुत नहीं होंगी। यह उस लेखिका का दृष्टिकोण होगा। हम तो यह चाहते हैं कि किसी भी महिला या युवती को गरीबी और आर्थिक  कारणों से इस स्थिति में न आना पड़े।
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