23 Apr 2024, 22:06:28 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-वीना नागपाल

पिछले दिनों जी टीवी के चैनल ‘जिंदगी’ पर तुर्की भाषा से अनुवादित एक सीरियल का समापन हो गया। वैसे तो जी जिंदगी में पाकिस्तान में निर्मित पारिवारिक सीरियल ही प्रसारित होते हैं (इनकी बात फिर कभी) पर इस पर तुर्की भाषा का एक सीरियल ‘फरिहया’ जब प्रसारित होने लगा तो इसने उस देश व समाज की अपनी अनोखी जानकारियों से परिचित करवाया, जिनसे अभी तक हम पूरी तरह अनजान हैं। जानकारी के लिए बता दें कि इस सीरियल में कथानक की प्रस्तुति के साथ-साथ तुर्की और विशेषकर (उसके शहर) इस्तांबूल का अद्भुत छायांकन था जो अभिभूत करने वाला था।

बेहद नीला साफ-स्वच्छ समुद्र उस पर तैरती बोट्स, एक ओर पहाड़, घने-लंबे पेड़ों की हरियाली, झीलें, रूई के फोहोंं की तरह गिरती बर्फ और बारिश की कभी मद्धम तो कभी तेज बौछारें-क्या कुछ नहीं दिखाया गया था इस सीरियल में। इन दृश्यों को देखकर ऐसा लगता था कि शायद ही हमारी पृथ्वी जैसा कोई और ग्रह इस विशाल ब्रह्मांड में मौजूद है? इन प्राकृतिक दृश्यों के बीच रचे-बसे टर्की से बेहद खूबसूरत और बलिष्ठ और कुछ-कुछ यूरोपीय अंश लिए लोग, सब कुछ जानना सुखद लगता और बांधे रखता। उस नीली बिल्लौरी आंखों वाली फरिहया की, उससे बेपनाह मोहब्बत करने वाले एमिर (आमिर) से जब प्रेम कहानी का अंत हुआ तो एक शून्यता व खालीपन भर गया। आम पाकिस्तानी सीरियल्स की तुलना में यह सीरियल लंबा खिंचा और इसमें कई दांव-पेच भी जुड़ते रहे। पर, जो विशेष व मुख्य बात इस सीरियल की थी वह था फरिहया और एमिर का परस्पर प्रेम व आत्मीयता। पर कथानक वही था, एक अत्यंत रईस खानदानी लड़के का एक गरीब वॉचमेन की बेहद खूबसूरत लड़की से टूट कर प्रेम करना और उस लड़की का भी उससे अपने से भी ज्यादा प्रेम करना। न तो उस रईस युवक के माता-पिता को यह रिश्ता मंजूर है और न ही उस साधारण निम्न वर्ग की युवती के आत्मसम्मानी पिता और भाई का अपने खानदान की किसी लड़की का उस अमीरजादे के प्रेम में यूं पड़ना मंजूर है। फरिहया का भाई तो उसे कई बार धमकाता है और यहां तक कि पिटाई भी करता है और नियम-कायदों और अपनी खुद्दारी पर गर्व करने वाले उसके पापा भी उसे कई बार चेतावनी देते हैं, लेकिन फरिहया और एमिर की मोहब्बत परवान चढ़ती है, पर इस सारे चित्रण में कई प्रश्न चौंकाते हैं।

हमारा विषय यह नहीं है कि हम फरिहया और एमिर की मोहब्बत के बारे में बात करें, बल्कि यह है कि पूरी मानव सभ्यता के सभी समाजों में एक गरीब युवती को यह अधिकार नहीं है कि वह किसी अमीर युवक के प्रेम में पड़ जाए या वह अपनी जाति तथा वर्ग के बाहर जाकर मोहब्बत कर सके। उसके परिवार के पुरुष उसे अपनी मर्जी से विवाह करने की कभी अनुमति नहीं देंगे। इसमें उनका सम्मान (आॅनर) आड़े आ जाएगा। लड़कियों की मांएं अपने समय के इससे भी बदतर समय से गुजर चुकी हैं और इसलिए वह चाहकर भी अपनी बेटियों के समर्थन में खड़ी नहीं हो पातीं। वह अपनी युवा बेटी को पिता और भाई के गुस्से से हर वक्त बचाने की कोशिश करती हैं और इसके लिए तरह-तरह के बहाने गढ़ती रहती हैं और इसके साथ-साथ यह भी घर का प्रधान या मुखिया जो कह दे वह पत्थर की लकीर होता है और उसकी अवहेलना करने के बारे में कोई पत्नी सोच भी नहीं सकती। मानव समाजों की रईस औरतें भी अंतत: पुरुष की ही अमीरी का सुख व उसकी संपदा भोग कर दिखावे के तौर पर खुश रहती दिखती हैं, पर होती नहीं हैं। यदि यही स्थिति है औरत की आजादी की, लिखाई कब लिखी जाएगी?
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