25 Apr 2024, 09:38:37 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-अश्विनी कुमार 
लेखक पंजाब केसरी दिल्ली के संपादक है।


पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हिंदुओं के सबसे बड़े त्योहार 24 मार्च को होली पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है। ऐसा पाक में पहली बार हुआ है कि किसी राज्य में होली के त्योहार पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया हो। पहले सिर्फ हिंदुओं को ही यह अवकाश दिया जाता था। इस प्रस्ताव को स्वतंत्र रूप से पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) के रमेश बंकवानी ने रखा और नेशनल असेंबली ने पारित कर दिया। अब पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के त्योहार  होली, दीवाली और ईस्टर पर अवकाश घोषित किए जाएंगे।

पाक का बहुत-बहुत धन्यवाद कि उसने आजादी के 69 वर्षों बाद अल्पसंख्यकों की भावनाओं का सम्मान किया। काश! यह सम्मान बंटवारे के बाद ही कर दिया जाता। भारत का विभाजन हुआ और संपूर्ण सिंधु नदी पाकिस्तान में चली गई और उससे जुड़ी सम्पूर्ण संस्कृति और धर्म को अब नष्ट किया जा चुका है। सिंधु के बिना हिंदू अधूरा है। सिंधु के बिना हिंदू वैसे ही है, जैसे प्राण के बिना शरीर, अर्थ के बिना शब्द। गंगा से पहले हिंदू संस्कृति में सिंधु और सरस्वती की महिमा थी। सिंधु  से ही हिंदुओं का इतिहास है। सिंधु का अर्थ जलराशि होता है। सिंधु नदी का भारत और हिंदू इतिहास में सबसे ज्यादा महत्व है। इसे इंडस कहा जाता है, इसी के नाम पर भारत का नाम इंडिया रखा गया। पाकिस्तान में सबसे ज्यादा हिंदू सिंध में रहते हैं और सिंधी हिंदुओं से लगातार खून की होली ही खेली जाती रही है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति कितनी बदतर है, यह बात किसी से छिपी हुई नहीं है। पाकिस्तान के सिंध प्रांत के हिंदुओं का डर, आशंकाएं 1947 में हिंदुस्तान से पलायन करते हुए मुस्लिमों ने सच में बदल दिया जब उन्होंने हिंदुओं की जायदाद लूटकर, जबरन घर में घुसकर कब्जा कर, मार-काट, फसाद कर हिंदुओं में एक भय तथा अराजकता की स्थिति पैदा की। भारत के उत्तर प्रदेश और बिहार से गए मुसलमानों ने इस लूटपाट को अपना हक समझा।

देश विभाजन के बाद से ही पाकिस्तान में हिंदू अत्याचारों का शिकार हुए, जिसके चलते सिंध से हिंदू परिवारों का भारत आना आज तक जारी है। सिंध एक बार नहीं कई बार जला। कई बार कत्लेआम हुआ। कभी सिंधियों का तो कभी मुहाजिरों का। सिंध की आजादी की आवाजें लगातार उठती रहीं लेकिन पाक हुक्मरानों ने इन आवाजों को बार-बार कुचल डाला। पाकिस्तान में हिंदुओं को किन मुश्किलों का हर रोज सामना करना पड़ता है, शायद कोई इसकी कल्पना भी नहीं कर सकता। राजस्थान और दिल्ली में शरणार्थी बनकर रह रहे पाकिस्तानी हिंदुओं की कहानियां सुनकर रूह कांप जाती है। पाक जैसे मुल्क में हिंदू परिवारों का रहना किसी शेर की मांद में रहने जैसा ही है। सिंधी हिंदुओं को सिंध छोड़ने को मजबूर करने की साजिश लगातार चली। सिंधियों ने कई बार आंदोलन किए लेकिन उनकी आवाज किसी ने नहीं सुनी। हिंदू लड़कियों का जबरन धर्मांतरण किया गया और उनके निकाह कराए गए। हिंदुओं के धर्मस्थल तोड़े गए, उनके घरों में लूटपाट की जाती है। कोई सुनने वाला नहीं। बहू-बेटियों की अस्मत सुरक्षित नहीं।

यही कारण रहा कि पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी लगातार घट रही है। सिंध के हिंदुओं ने हमेशा भारत से काफी उम्मीदें रखीं लेकिन यहां आकर भी उन्हें स्थायी वीजा के लिए हर चौखट पर दस्तक देनी पड़ती है। पाक की सिंध विधानसभा ने पिछले महीने हिंदू विवाह कानून पारित कर ऐसा पहला प्रांत बना दिया जहां अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के लोग अपनी शादियों का पंजीकरण करा सकेंगे। विधेयक के मुताबिक हर विवाह का पंजीकरण होगा और विवाह प्रमाण पत्र दिया जाएगा। हिंदू विवाह कानून के अभाव में राष्ट्रीय पहचान पत्र प्राप्त करने और जायदाद में हिस्सेदारी में काफी बाधा आ रही थी। 69 वर्ष बाद सिंध के हिंदुओं की सुनी गई। हालांकि इस कानून के एक उपबंध का हिंदू विरोध भी कर रहे हैं। पाक में हिंदुओं के समर्थन में यह बदलाव पाकिस्तान हिंदू परिषद के प्रयासों से हो रहा है। संभव है धीरे-धीरे वहां के लोगों की मानसिकता में बदलाव आए और हिंदुओं के मानवाधिकारों की रक्षा की जानी शुरू हो जाए। हो सकता है होली का अवकाश हिंदुओं के साथ-साथ अन्य समुदायों में भी खुशियों की नई तरंगें ले आए। एक-दूसरे के त्योहार मनाने से ही समाज में भाईचारे की भावना उत्पन्न होती है। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस बार की होली से सिंध में सद्भाव के रंग फैलने की शुरूआत होगी।

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