29 Mar 2024, 11:22:18 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-वीना नागपाल

एक स्वर से सब लोग इस निश्चित मत को प्रकट करते हैं- आजकल माहौल बहुत खराब है। ‘‘इस वाक्य को बोलते ही फिर वह एक ठंडी आह भरते हैं, पर यह कोई तलाश करने की जहमत नहीं उठाता कि माहौल किसने खराब किया है? कौन हैं वह जो माहौल को इतना खराब कर रहे हैं? कोई बाहरी (विदेश से) लोग तो आए नहीं। हमारे ही समाज के परिवारों के बीच के लोग ही तो ऐसा कर रहे हैं, तब उनकी पहचान हम सब क्यों नहीं कर रहे हैं?

लड़कियों पर तमाम तरह की पाबंदियां इस माहौल के कारण लगाई जाती हैं। माता-पिता डरे व सहमे रहते हैं कि कोई अप्रिय घटना न हो जाए। उनका डर अपनी जगह सही है। महिलाओं के साथ जिस प्रकार के दुर्व्यवहार की घटनाएं होती हैं उनके समाचार मन-मस्तिष्क को आहत कर देते हैं। राज्यों में परस्पर होड़ लगी है कि किस राज्य में महिलाओं के साथ सर्वाधिक अशिष्टता हुई। उनके आंकडे जब आते हैं तब दहशत होने लगती है और जब कोई और कारण नहीं सूझता तब माहौल को दोषी ठहराकर खाना पूर्ति कर ली जाती है। पर, यह कोई नहीं बताता कि इस माहौल को बनाया किसने है? हमारे ही परिवारों के बीच के लोग होंगे, जो इस तरह के व्यवहार के जिम्मेदार होंगे तब तो अन्तत: दोष तो परिवारों पर ही आता है कि उनके सदस्य इस प्रकार का व्यवहार करके माहौल को बिगाड़ रहे हैं। हमारे ही परिवारों में कहीं न कहीं अपराध करने का बीज मौजूद है, जिसके निकृष्ट व सड़ा-गला होने के बावजूद भी हम उसे निकाल नहीं पाए हैं।

दरअसल जब परिवार का कोई सदस्य इस प्रकार का व्यवहार करता है या उंदह अथवा उच्छृंखलता दिखाता है तो हम उसे अनदेखा कर देते हैं। आजकल परिवारों में ही बहुत कुछ ऐसा हो रहा है जिसे सहन कर उसे दरगुजर कर दिया जाता है। ऐसे परिवारों की संख्या कम हो गई है जो स्वयं की प्रतिष्ठा व सम्मान पर कोई आंच नहीं आने देते थे। उन परिवारों के सदस्यों में से किसी की मजाल नहीं होती थी कि वह समाज में कोई ऐसा दुर्व्यवहार कर दें कि उसकी आंच उनके परिवार तक पहुंचे। चलिए! मान लेते हैं कि अब ऐसे परिवारों की बात करना निरर्थक है। अब नव - धनाढ्य परिवार हैं जो धन-संपदा के सामने संबंधों के सम्मान व प्रतिष्ठा को नगण्य मानते हैं, पर इसका अर्थ यह तो नहीं कि इनके सदस्य अपने अशिष्ट व दुर्व्यवहार से समाज का माहौल बिगाड़ दें। इनकी बात के साथ-साथ अन्य आय वर्गों की बात भी की जाना चाहिए। हो यह रहा है कि हर वर्ग के परिवारों ने अपनी यह जिम्मेदारी छोड़ दी है कि उन्होंने अपने-अपने परिवारों के सदस्यों वह भी विशेषकर युवा व अन्य आयु के पुरुषों को परिवार के नियम कायदों के साथ सबका सम्मान व आदर करने का पाठ निरंतर पढ़ाया है।

माहौल यदि खराब है तो इसका खामियाजा सब भुगत रहे हैं। प्रत्येक वर्ग इसकी चपेट में आ रहा है। इसलिए बहुत आवश्यक है कि परिवार का कोई भी सदस्य चाहे वह किसी भी वर्ग का क्यों न हो इस माहौल को नहीं बिगाड़े। कानूनों से भी बढ़कर परिवारों की परस्पर समझाइश और स्वस्थ चेतना है। यदि समाज का माहौल बिगड़ता है और असुरक्षा का अहसास होता है तो इसके भुक्त भोगी सभी हैं। यदि महिलाएं इस बात की जिम्मेदारी उठा लें कि वह अपने परिवार में ऐसा माहौल बनने ही नहीं देंगी तो यकीन मानिए समाज का माहौल बहुत स्वस्थ और स्वच्छ होगा।
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