-राजीव रंजन तिवारी
विश्लेषक
देश में विजय माल्या के भागने पर तूफान मचा हुआ है। मामला यह है कि माल्या की कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस पर 17 कर्जदाताओं के 7800 करोड़ रुपए बकाया हैं। इतना बड़ा कर्जदार अपने को छोटा डिफॉल्टर बताता है। चालीस हजार करोड़ वाले डिफॉल्टर की तरफ इशारा करता है। एक किसान हैं जो पचास-साठ हजार के कर्ज का बोझ नहीं उठा पाते। जानकार बताते हैं कि कर्जदारों के पास जितनी रकम है, अगर ये वसूल ली जाए तो काला धन से पहले लोन धन से ही सबके खाते लहलहा उठेंगे। विजय माल्या ने एक पत्र लिखकर बताया है कि मीडिया में उनके खिलाफ अभियान चल रहा है। उन्होंने किंगफिशर एयरलाइंस कंपनी अंतरराष्ट्रीय सलाहकारों और एसबीआई कैपिटल मार्केट के मूल्यांकन के बाद लांच की थी। दुर्भाग्यपूर्ण है कि कंपनी बाजार की खराब दशा के कारण नहीं चल सकी। 31 जनवरी 2012 को स्टेट बैंक आॅफ इंडिया ने भारतीय रिजर्व बैंक को यही लिखा। ऐसा नहीं है कि किंगफिशर ने लोन नहीं चुकाए हैं। 1250 करोड़ रुपएअलग-अलग मामलों में कर्नाटक हाई कोर्ट में जमा हैं। शेयरों को बेचकर 1244 करोड़ नकद राशि रिकवर की गई है। कुल मिलाकर 2494 करोड़ की रिकवरी हो चुकी है।
सवाल यह उठ रहा है कि क्या बैंक सिर्फ विजय माल्या को निशाना बना रहे हैं। उन्हें ही विलफुल डिफॉल्टर घोषित कर रहे हैं। आरटीआई से पता चला है कि सरकारी बैंकों ने पिछले तीन साल में 1 लाख 14 हजार करोड़ रुपए माफ किए हैं। भारत के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस टीएस ठाकुर की बेंच ने कहा है कि लोगों पर सरकारी बैंकों के हजारों करोड़ रुपए के कर्ज हैं। यह सबसे बड़ा फ्रॉड है। 2015 में दस बड़े बैंकों ने 40 हजार करोड़ के कर्ज माफ कर दिए। विजय माल्या जिस राज्यसभा के सदस्य हैं, वहीं उनके भागने पर चर्चा पर चर्चा हुई। सरकार और विपक्षी कांग्रेस एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। आश्चर्य इस बात का है कि आखिर लुक आॅउट नोटिस के बावजूद माल्या जैसा आदमी भाग कैसे गया। लोकसभा में किरीट सोमैया और राज्यसभा में जयराम रमेश ने इस मसले पर नोटिस दिया था। इस मामले को लेकर सीबीआई ने जांच शुरू की है कि आखिर माल्या देश छोड़कर भागे कैसे।
इसके जवाब में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि माल्या को उस समय लोन दिया गया जब उनकी बैंक अकाउंट अच्छी स्थिति में नहीं थे। पलटवार किया कि यूपीए के शासनकाल में ही माल्या पर मेहरबानी हुई। यूपीए को माल्या के मुद्दे पर सोचना चाहिए। माल्या उस समय देश से बाहर गए हैं जबकि सीबीआई ने उनके खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी कर रखा है। लुकआउट नोटिस का मतबल ये है कि वो बिना इजाजत देश छोड़कर नहीं जा सकते थे। माल्या फिलहाल कहां है ये बात कोई नहीं जानता। 17 बैंकों के करीब 7 हजार 800 करोड़ रुपए का क्या होगा, ये भी कोई नहीं जानता। शराब के कारोबारी माल्या जिंदादिली और लाइफ स्टाइल को लेकर सुर्खियों में रहे हैं। एक किसान 50-60 हजार रु. के कर्ज को बर्दाश्त नहीं कर पाता और एक कारोबारी हजारों करोड़ रुपए के कर्ज उठा लेता है। खेती और बिजनेस दोनों के लिए कर्ज जरूरी है। मगर जब खेती चौपट होती है तो किसान फांसी के फंदे पर पहुंच जाता है। व्यापारी का धंधा डूबता है तो उसकी सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि वो अपने नाम से नहीं, कंपनी के नाम से कर्ज लेता है। बताते हैं कि 2014 में 5642 किसानों ने आत्महत्या की थी। महाराष्ट्र में 2001 से लेकर 2015 तक 20 हजार किसानों ने आत्महत्या की। कर्ज न चुका पाना आत्महत्या का बड़ा कारण है। 2013 से 2015 के बीच भारत के सरकारी बैंकों ने बड़ी-बड़ी कंपनियों का 1.14 लाख करोड़ का डूबा हुआ कर्ज माफ कर दिया। देश के करीब आधे किसान कर्ज में डूबे हैं। इनमें से 42 फीसदी बैंकों के कर्जदार हैं और 26 फीसदी महाजनों के कर्जदार हैं। 31 मार्च 2015 तक देश के टॉप पांच बैंकों का 4.87 लाख करोड़ रुपए सिर्फ 44 बड़ी कंपनियों पर बकाया था। ये सभी बकाएदार वो हैं जिन पर पांच हजार करोड़ से ज्यादा का बकाया है। अब जबकि बैंकों का हजारों करोड़ रुपए डुबोकर माल्या विदेश भाग गए हैं तो उनका पॉसपोर्ट रद्द करने व देश में लाने की बात हो रही है। माल्या दो साल से डिफॉल्टर घोषित किए जा चुके हैं। बावजूद इसके उनकी लाइफस्टाइल जस की तस है। पिछले 18 दिसंबर को अपने 60वें जन्म दिन पर माल्या ने गोवा जो किया उसके बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन को कहना पड़ा कि किसी डिफॉल्टर व्यक्ति को जन्मदिन पर इतनी दौलत नहीं खर्च करनी चाहिए। भारतीय स्टेट बैंक तब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तब तक बहुत देर हो चुकी थी। एसबीआई ने सरकार से अपील की थी कि माल्या को गिरफ्तार किया जाए। लेकिन नरेंद्र मोदी की सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही और माल्या चुपचाप निकल लिया। गौरतलब है कि बड़े उद्योंगपतियों से मिलकर शीर्ष बैंक अफसर करोड़ों रुपए के कर्ज़ बांटते हैं और उससे मिले नजराने से ऐश करते हैं। कर्ज मंजूर करने वाले ढेर सारे बैंक अधिकारी रिटायर होने के बाद विदेश शिफ्ट हो जाते हैं और ऐश करते हैं। ऐसे अफसरों को भी जांच के दायरे में लाने की जरूरत है। माल्या के विदेश भागने का मामला संसद के दोनों सदनों में जोरदार तरीके से उठा। विपक्ष के सवाल पर वित्तमंत्री ने कहा कि माल्या से एक-एक पाई वसूली जाएगी। अब कितना वसूली करेंगे, यह तो वक्त बताएगा। यह बताना जरूरी है कि ललित मोदी को लंदन भागे कितने साल हो गए, उसे स्वदेश लाकर मुकदमा चलाना तो दूर बीजेपी के नेता वहां जाकर उससे मिलते रहे हैं। ऐसे में माल्या पर कार्रवाई होगी, यह संदेह के घेरे में है। देखना है कि क्या होता है?