25 Apr 2024, 12:06:47 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

शैलेंद्र जोशी
वरिष्ठ पत्रकार, दैनिक दंबग दुनिया


हमारे देश में यह प्रवृत्ति बड़े स्तर पर है कि कहीं कोई अच्छा काम हो रहा हो तो उसमें अड़ंगे जरूर लगाएंगे। इसी तरह जो काम जिस सरकारी विभाग को करना चाहिए उसमें उनकी रुचि कम रहती है लेकिन यदि उनके विभाग को कहीं कार्रवाई का मौका मिल रहा हो तो उसे बेकार नहीं जाने देते। कुछ इसी तरह के हालात श्रीश्री रविशंकर द्वारा प्रणीत संस्था आर्ट आॅफ लिविंग के साथ भी पैदा हो रहे हैं। संस्था ने दिल्ली में यमुना के तट पर 11 से 13 मार्च तक विश्व सांस्कृतिक महोत्सव के आयोजन की घोषणा की है और उसके लिए व्यापक स्तर पर तैयारी भी कर ली है। संस्था को अनुमान है कि इसमें दुनियाभर के 35 लाख से ज्यादा लोग शिरकत कर सकते हैं। ऐसे में संस्था ने गंदगी से पटी हुई यमुना से 500 टन से ज्यादा गंदगी और गाद निकाल फेंकी और पर्यावरण को कोई नुकसान पहुंचाए बिना आयोजन की तैयारी की है। संस्था ने यमुना के बाढ़ क्षेत्र में जैव विविधता पार्क का निर्माण करने का भी मन बनाया है। ऐसे में ताज्जुब तो इस बात का है कि पर्यावरण को मजबूती देने का काम करने के बावजूद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने यमुना तट पर श्रीश्री रविशंकर के विश्व सांस्कृतिक महोत्सव को मंजूरी तो दे दी लेकिन पांच करोड़ रुपए का जुर्माना ठोक दिया। इसके विपरीत ग्रीन ट्रिब्यूलन नदियों में मिल रहे नालों और कारखानों का जहरीला पानी रोकने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है।

इस बीच, आर्ट आॅफ लिविंग के गुरु श्रीश्री रविशंकर यह सफाई देते रह गए कि उन्होंने आयोजन के लिए एक पेड़ भी नहीं कटने दिया, सिर्फ चार पेड़ों की टहनियों की छंटाई भर की है। उनकी एक नहीं सुनी गई, जबकि इस विवाद के कारण आर्ट आॅफ लिविंग के 35 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित महोत्सव के समापन समारोह में आने की अनुमति देने के बाद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का आगमन खटाई में पड़ गया है। वहीं शुभारंभ अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने की संभावना भी क्षीण होती दिखाई दे रही है।

आश्चर्य तो यह है कि एक तरफ तो सरकार नदियों की सफाई पर करोड़ों-अरबों रुपए खर्च कर रही है, वहीं पर्यावरण को संवारने के किसी कार्यक्रम में सहयोग करने की बजाय उसमें अड़ंगा लगा रही है। इतना ही नहीं नदियों की सफाई को प्रोत्साहन देने की बजाय जुर्माना लगा रही है। वह भी उस स्थिति में जब यमुना देश की सबसे प्रदूषित नदियों में शामिल है। उसमें डुबकी लगाना तो दूर की बात लोग छूने से डरते हैं। हमारे लिए यह शर्मनाक है कि नदियों की पूजा करने वाले इस देश की कोई भी नदी विश्व की पांच शुद्धतम नदियों में शामिल नहीं है। निर्मल जल के लिए दुनिया में लंदन की टेम्स, बोस्नीया और हर्जेगोविना की तारा, स्वीडन और फिनलैंड की टोर्न, गुइलिन, चीन की यांगशुओ नदी व अमेरिका की सेंट क्रोइक्स नदी का नाम पूरे सम्मान के साथ लिया जाता है। सेंट क्रोइक्स नदी विशालतम मिसिसिपी की सहायक नदी है। धर्म पर जान न्योछावर करने वाले हमारे देश के आस्थावान लोग नदियों की स्वच्छता के लिए आखिर पूरी तरह से कब जागेंगे? इस मामले में नाम से बड़े लोगों को भाषण छोड़कर नदियों के तट तक पहुंचना होगा।

जहां तक श्रीश्री रविशंकर का सवाल है वे दुनियाभर में माने जाने वाले बड़े आध्यात्मिक गुरु हैं। उन्होंने समारोह की तैयारी से पहले यमुना से टनों कचरा साफ किया। अब उन्होंने घोषणा की है कि वे इस स्थान को वहां जैव विविधता पार्क स्थापित करने के बाद ही छोड़ेंगे तो उनकी इस भावना और पर्यावरण के प्रति उनकी चैतन्यता को समझना होगा। वैसे श्रीश्री रविशंकर आयोजन के लिए सभी मंजूरी ले चुके हैं, केंद्र एवं राज्य सरकार को भी कोई ऐतराज नहीं है, ऐसे में नैतिकता का तकाजा है कि एक नेक उद्देश्य के लिए आयोजित विश्वस्तरीय समारोह में सभी सहयोग करें। आखिर वैश्विक स्तर के इस सांस्कृतिक आयोजन से देश की संस्कृति फिर से विश्व स्तर पर चमकेगी, क्योंकि इस देश का मार्गदर्शन गुरु ही करते आए हैं।
 

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