19 Apr 2024, 12:46:00 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

कृष्णमोहन झा
-राजनीतिक विश्लेषक


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब गत रविवार  को छात्रों से अपने ‘मन की बात’ साझा करते हुए यह कहा था कि यह उनकी स्वयं की भी वार्षिक परीक्षा  की घड़ी है। उन्होंने छात्रों ही नहीं बल्कि सारे देशवासियों को अपनी आत्मविश्वास युक्त वाणी से यह संदेश भी दे दिया था कि आम बजट रूपी वार्षिक परीक्षा को सफलतापूर्वक उत्तीर्ण करने के लिए उनकी सरकार ने कोई कोर कसर नहीं रख छोड़ी है। संसद में मोदी सरकार के वित्त मंत्री अरूण जेटली ने जब 2016-17 का आम बजट पेश किया तो यह भली भांति प्रमाणित भी हो गया कि बजट रूपी वार्षिक परीक्षा को विशेष योग्यता के साथ उत्तीर्ण करने के लिए वाकई सरकार की तैयारियों में कोई कमी नहीं थी। मोदी सरकार का रेल बजट और आम बजट दोनों ही परीक्षाओं में इस वर्ष जो प्रदर्शन रहा है उससे सर्वाधिक निराशा अगर कोई है तो वे देश के विरोधी राजनीतिक दल हैं जिन्हें इन दोनों बजटों में सरकार की आलोचना करने के लिए कोई मुद्दा हाथ नहीं लग पाया है।
 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धनाढ्य उद्योगपतियों का हितैषी बताने वाले विरोधी राजनीतिक दल अब इसलिए परेशान हो उठे हैं कि न तो वे रेल बजट में आम रेल यात्रियों को दी गई ढेर सारी सुविधाओं का विरोध कर सकते है और न ही वे किसानों के कल्याण के लिए आम बजट में दी गई सहूलियतों को अनुचित या आवयश्कता से अधिक ठहरा कर खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने का जोखिम उठा सकते हैं। संशोधित भूमि अधिग्रहण विधेयक के अनेक प्रावधानों को किसान विरोधी बताकर जो विरोधी दल किसानों के बीच सरकार विरोधी माहौल बनाने में जुटे हुए है उनके सामने अब सबसे बड़ी दुविधा यह है कि वे अगर बजट में किसानों का दी गई सुविधाओं का विरोध करते है तो उन पर ही किसान विरोधी होने का ठप्पा लगते देर नहीं लगेगी। देश का हर राजनीतिक दल स्वयं को किसानों का सबसे बड़़ा हितैषी साबित करना चाहता है परंतु मोदी सरकार के इस किसान हितैषी बजट के बाद विरोधी दल अब इस स्थिति में नहीं रह गए है कि केंद्र सरकार को किसान विरोधी सरकार बता कर उसके विरूद्ध दुस्प्रचार करने की कोशिश जारी रख सकें। इस बजट से कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी को भी यह स्वीकार्य करने के लिए विवश होना पड़ेगा कि जिस सरकार पर उन्होंने सूट-बूट वाली सरकार होने का आरोप लगाया था वह ग्रामीण भारत के मेहनतकश किसानों के हितों की चिंता करने में दूसरे दलों से कही आगे है।
 

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने इस बजट में 2022 तक देश के गरीब किसानों की आय दुगुनी करने का जो लक्ष्य रखा है उसके संकेत तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत 18 फरवरी को मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के शेरपुर कस्बे में आयोजित किसान महासम्मेलन के मंच से दे दिए थे। प्रधानमंत्री ने उक्त ऐतिहासिक किसान सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा था कि 2022 में देश अपनी स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है तब तक किसानों की आय दुगुनी करने के लिए उनकी सरकार कृत संकल्प हैं। निसंदेह यह लक्ष्य आसान नहीं है परंतु मोदी सरकार इस बात के लिए साधुवाद की पात्र है ही कि उसने इस लक्ष्य को अर्जित करने और खेती को लाभ का धंधा बनाने की दिशा में अपने कदम आगे बढ़ा दिए हैं। गौरतलब है कि संसद में केंद्रीय बजट पेश किए जाने के पहले ही मोदी सरकार ने सिकानों के लिए फसल बीमा योजना की घोषणा कर दी है और वह किसानों को यह सुविधा भी देने जा रही है कि वे देश की किसी भी मंडी में अपना उत्पादन बेचकर उसका अधिकतम मूल्य प्राप्त कर सके। देश के विभिन्न अंचलों में मौसम की मार के कारण जो किसान अपनी बबार्दी के कारण हताश की स्थिति में पहुंच जाते थे उनके दिलों में मोदी सरकार ने निसंदेह यह उम्मीद जगा दी है कि मुश्किल वक्त में सरकार सदैव उनके साथ खड़ी है।
 

निश्चित रूप से विरोधी दलों को अब यह चिंता भी सता रही होगी कि वे इसी साल होने जा रहे पुडुचेरी, असम, केरल, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में रेलबजट और आमबजट को लेकर भाजपा के विरूद्ध अपने चुनाव अभियान में कोई बड़ा मुद्दा नहीं बना पाएंगे। गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री जब केंद्र में रेलमंत्री के पद पर आसीन थी तब वे कभी भी यात्री किराए के पक्ष में नहीं रही। अब राज्य विधानसभा चुनावों में वे वर्तमान रेलबजट को अपने रेल बजटों की तुलना में कमतर सिद्ध नहीं कर पाएंगी। कांग्रेस भी मोदी सरकार को किसान विरोधी ठहराकर भाजपा पर निशाना साधने की स्थिति में नहीं है।
 

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से कई ऐसे उपायों की घोषणा की है जो किसानों के चेहरों की चमक लौटाने में कारगर सिद्ध हो सकते हैं। निसंदेह सरकार की राह भी आसान नहीं है परंतु इससे सरकार की नेक नीयती पर सवाल उठना उचित नहीं होगा। छुपे हुए कालेधन को बाहर लाने के लिए वित्तमंंत्री ने जिन उपायों की घोषणा बजट में की है उनके जरिए अगर सचमुच बड़ी मात्रा में कालाधन उजागर होता है तो उसका लाभ भी कृषि क्षेत्र को मिल सकेगा। सरकार उजागर हुए कालेधन का साढ़े सात फीसदी कृषि क्षेत्र में निवेश करेगी। राष्ट्रीय ग्राम स्वराज योजना की शुरूआत मार्च 2017 तक 14 करोड़ किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड की उपलब्धता तथा खाद्य सब्सिडी को सीधे किसानों के खाते में जमा करने की सरकार की योजना निश्चित रूप से किसानों के हित में है। डेयरी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 850 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है जिससे पशुधन संजीवनी, उन्नत ब्रीडिंग प्रौद्योगिकी ई पशुधन हाट और राष्ट्रीय जैनोमिक केंद्र परियोजनाएं प्रारंभ की जाएगी। भूमि संबंधी रिकार्ड को कागजी रखरखाव से किसानों को होने वाली परेशानियों से उन्हें निजात दिलाने के लिए डिजिटल साक्षरता मिशन की शुरूआत बेहद प्रशंसनीय कदम है।

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