28 Mar 2024, 18:01:34 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-आर.के.सिन्हा
लेखक राज्यसभा सांसद हैं।


आजादी मिलने के बाद पहली बार एक अरसे के बाद इस देश के आम बजट में देश के गांवों,  गरीबों, नौजवानों और ग्रामीण औरतों का ख्याल रखा गया। उनकी जिंदगी बेहतर हो  बजट में इस बात का ध्यान रखा गया। इसके साथ ही सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का भी लक्ष्य रखा है। यह वादा मात्र नहीं है बाकायदा इसके कार्यान्वयन की कार्य योजना भी  बनाई गई है।  बजट पेश होने के साथ ही सरकार के कुछ स्थाई आलोचक कहने लगे हैं कि यह  कैसे मुमकिन है। अब इन्हें कौन समझाए कि सरकार ने अपने पूरा होमवर्क करने के बाद ही किसानों की आय बढ़ाने को लेकर वादा किया। इसलिए अभी से सरकार की मंशा पर शक करना कहां तक सही माना जा सकता है। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के दौरान देशभर में सड़कों का व्यापक स्तर पर जाल बिछा। इसके चलते ही रोजगार के लाखों नए अवसर पैदा हुए। पिछले बजट के मुकाबले इस बार गांवों की सड़कों के जाल को मजबूत करने के लिए 15 फीसदी ज्यादा खर्च करने की सरकार की योजना है।
 

बजट में ग्रामीण सड़क योजना के लिए भारी रकम रखी गई है। सिंचाई और कृषि पर कुल खर्च भी पिछले बजट की अपेक्षा 85 फीसदी बढ़ाकर 48 हजार करोड़ रुपए करने का ऐलान जेटली ने किया है । इसी क्रम में स्किल इंडिया के तहत में 3 साल में एक करोड़ युवाओं को प्रशिक्षित करने की योजना भी इस लिहाज से अहम है। बजट में गांव और खेती पर जिस तरह का फोकस रखा गया है, उससे लगता है कि सरकार गांवों के नौजवानों को शहर में जाकर नौकरी करने के बजाय गांव में खेती करना और खुद का रोजगार शुरू करने के लिए प्रेरित करना चाहती है। बजट में  2016-17 के लिए कृषि ऋण लक्ष्य नौ लाख करोड़ रुपए है और खेती के लिए 36 हजार करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। कृषि, ग्रामीण क्षेत्र, अवसंरचना और सामाजिक क्षेत्र के लिए भी ज्यादा पैसा दिया गया है। बजट प्रस्तावों पर गौर करने से समझ आ जाएगा कि  सरकार गांवों को डिजिटल इंडिया स्कीम के तहत ला रही है। साथ ही, सरकार ने बजट में किसानों के लिए ई-प्लेटफॉर्म और स्वास्थ्य बीमा योजना के अलावा ग्राम स्वराज योजना के लिए 655 करोड़ रुपए का प्रावधान है। मैं मानता हूं कि डिजिटल इंडिया स्कीम को पूरी ईमानदारी के साथ लागू किया जाना चाहिए। अगर ये सपना सच हुआ तो गांवों की बदहाली दूर हो जाएगी। खेती में लगातार सूखे की मार और नुकसान को देखते हुए सरकार ने किसानों की सुविधा के लिए फसल बीमा के लिए 55 हजार करोड़ रुपए और ग्राम पंचायतों के विकास के लिए 2.87 करोड़ का फंड दिया है।
 

बेशक, इन प्रयासों से गांवों में विकास की राह आसान  होगी।  मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि गांवों पर होने वाले खर्च के लिए जो जेटली ने सभी सेवाओं पर 0.5 फीसदी अतिरिक्त उपकर लगाने का ऐलान किया, उससे किसी भी देशवासी को कोई तकलीफ नहीं होगी। क्योंकि ये बात देश जानता है कि गांव का चौतरफा विकास किए बिना भारत विकसित नहीं माना जा सकता।  गांवों के लिए 2016-17 के बजट में इतना सब कुछ करने के बाद भी विपक्ष असंतुष्ट है। विपक्ष का कहना है कि बजट में कोई नई बात नहीं है। ये आलोचना पिलपिली है। और अभी तो ये बजट प्रस्ताव है। इन पर बहस के बाद कुछ संशोधन मुमकिन हैं। एक अच्छी बात ये है कि बजट में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए भी प्रावधान किए गए हैं। इसके तहत 5 लाख एकड़ जमीन में जैविक खेती की जाएगी। दालों की पैदावार बढ़ाने के लिए 500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। पिछले बजट में भी आपको याद होगा कि सामाजिक योजनाओं पर खास फोकस किया गया था। मुद्रा बैंक, जनधन, अटल पेंशन और बीमा योजना इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं, इसके साथ ही अमीरों की एलपीजी सब्सिडी खत्म करके भी ये संकेत दिए हैं कि सरकार गरीबों के हक में खड़ी होती रहेगी। देश साक्षर हो रहा है। हर साल लाखों नौजवान नौकरी पाने के लिए जॉब मार्किट में पहुंचने लगे हैं। इन्हीं को रोजगार के लिए तैयार करने पर भी फोकस किया गया है। बजट में युवाओं को रोजगार  उपलब्ध कराने केलिए उन्हें तकनीकी रूप से दक्ष करने का इरादा भी स्वागतयोग्य है। वित्त मंत्री ने हर साल एक करोड़ युवाओं को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य निर्धारित करते हुए देश भर में 1,500 बहु-कौशल प्रशिक्षण संस्थान खोलने की घोषणा की है। इसके लिए और प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना मोदी सरकार ने बीते साल ही कौशल विकास मंत्रालय का गठन किया था।  बेशक, साल 2016-17 के बजट में सरकार ने गांवों,नौजवानों और गरीब औरतों की किस्मत को बदलने का ठोस इरादा जाहिर किया है।

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