18 Apr 2024, 23:49:17 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-डॉ. जयंतीलाल भंडारी
रेल मंत्री सुरेश प्रभु 25 फरवरी को अपना तीसरा रेल बजट प्रस्तुत करते हुए जहां एक ओर यात्रियों की सुविधाओं तथा सुरक्षा पर ध्यान देने के लिए उपयुक्त प्रावधान करते हुए दिखाई दे सकते हैं वहीं दूसरी ओर वे भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण, विस्तार और वाणिज्यिक संचालन की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। यह भी संकेत उभरे हैं कि रेल यात्रा को अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए रेल मंत्री रेलवे की आय बढ़ाने के लिए कुछ कठोर कदम उठा सकते हैं।  नि:संदेह देश की जरूरत की दृष्टि से भारतीय रेलवे संतोषजनक स्थिति में नहीं है। रेलों की संख्या कम पड़ रही है। रेल में सुविधाओं का भारी अभाव है। रेलवे पहले से कहीं अधिक चुनौतियों का सामना करते हुए दिखाई दे रही है। पिछले दस साल में रेल यात्रियों की संख्या औसतन पांच फीसदी की रफ्तार से बढ़ने के कारण रेल में भीड़ का सैलाब बढ़ रहा है और सेवाओं का स्तर घट रहा है। भारतीय रेल लाइनों पर रोजाना दौड़ने वाली करीब 12 हजार 300 यात्री ट्रेनों में रोजाना तकरीबन 2.50 करोड़ यात्री सफर करते हैं। इन यात्री गाड़ियों का घाटा लगातार बढ़ रहा है।

रेलवे के पास विभिन्न एसी क्लास के उपभोक्ताओं की संख्या करीब दो फीसदी है, जबकि 98 फीसदी भार स्लीपर क्लास, जनरल क्लास और लोकल ट्रेनों के यात्रियों का है। इनमें आरक्षित श्रेणी के कोचों में रोजाना सिर्फ दस लाख यात्रियों के सफर के लिए बर्थ और सीट उपलब्ध कराने की क्षमता रेलवे के पास है। बाकी यात्री जैसे-तैसे यात्रा करने को विवश हैं। पिछले एक दशक में रेल यात्री दोगुने हो गए लेकिन रेलवे कर्मचारियों की संख्या बढ़ने की बजाय करीब ढाई लाख घट गई। रेलवे स्टेशनों में सुधार पर भी ध्यान दिया जाना होगा। भारतीय रेल के आठ हजार से ज्यादा रेलवे स्टेशनों में से करीब 4300 से अधिक रेलवे स्टेशनों पर अभी भी बुनियादी सुविधाओं का भारी अभाव है। पटरियों पर दौड़ती ट्रेन असुविधा और असुरक्षा का पर्याय बन गई है। पिछले कई वर्षों में कई रेल मंत्रियों के द्वारा वाहवाही हासिल करने की चाहत ने भारतीय रेलवे को विकास की दृष्टि से बहुत पीछे छोड़ दिया है। रेलवे का परिचालन अनुपात 90 प्रतिशत के स्तर पर पहुंचकर चिंताएं देते हुए दिखाई दे रहा है। सात वर्ष पूर्व यह अनुपात 76 था।

चूंकि रेलवे की कमाई का 54 फीसदी पैसा स्टॉफ के वेतन, भत्ते, पेंशन पर खर्च हो रहा है और आय का अधिकतर हिस्सा परिचालन में खर्च होने से भी रेलवे का विकास थम गया है। इसी प्रकार जहां राजस्व वृद्धि 2.8 प्रतिशत की धीमी रफ्तार से बढ़ रही है, वहीं रेलवे की लागत 10.9 प्रतिशत की तेज दर से बढ़ने के कारण रेलवे अपने को जरूरी निवेश करने में अक्षम स्थिति में खड़ा हुआ पा रहा है। स्थिति यह है कि रेलवे क्षमता बढ़ाने और आधुनिकीकरण की परियोजनाओं की संख्या इतनी लंबी हो गई है कि इसके लिए लगभग पांच लाख करोड़ रुपए की जरूरत है। देश में करीब 5300 किलोमीटर रेल पथ का नवीनीकरण होना है, जबकि चालू वित्त वर्ष 2015-16 में नवीनीकरण का लक्ष्य करीब 2500 किलोमीटर ही रखा जा सका है। यदि रेल की प्रमुख लाइनों को सुधारकर करीब 200 किलोमीटर की स्पीड से सामान्य रेल चलाई जाएं तो इससे रेलवे एवं यात्रियों को लाभ होगा। रेलवे के सामने बाजार हिस्सेदारी गंवाने को लेकर भी चिताएं मौजूद हैं। न केवल ढुलाई की मात्रा बल्कि उच्च श्रेणी के यात्रियों की संख्या में भी कमी हो रही है। जहां रेलवे की वित्तीय स्थिति कमजोर बनी हुई है, वहीं 2016-17 में सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट लागू करने से रेलवे पर वेतन और पेंशन बिल में सालाना 40 हजार करोड़ रुपए का बोझ पड़ने जा रहा है। इतना ही नहीं अब तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट बुलेट ट्रेन पर रेलवे भारी लागत लगाने जा रही है।

लेकिन वस्तुत: यह समय देश में बुलेट ट्रेन लाने का सही समय नहीं है, बल्कि वर्तमान सुविधाओं, रफ्तार और यात्रियों की सहूलियतों को सुधारने का समय है। गौरतलब है कि रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने पिछले रेल बजट में सुरक्षा, तेज रफ्तार और आम यात्रियों की सुविधाओं को बढ़ाने के लक्ष्यों के साथ पांच साल की कार्ययोजना तय कर 8 लाख 56 हजार करोड़, रुपए से अधिक निवेश की रणनीति निर्धारित की थी। संसाधन के लिए विश्व बैंक, राष्ट्रीय बुनियादी एवं निवेश फंड एवं दूसरे वित्तीय संगठनों से संपर्क किया गया, किंतु स्थिति यह है कि मात्र डेढ़ लाख करोड़ रुपए का कर्ज भारतीय जीवन बीमा निगम से ही प्राप्त हो सका। देखना यह है कि रेल मंत्री सुरेश प्रभु वर्ष 2016-17 के रेल बजट के तहत भारतीय रेल को विकास की मंजिल पर पहुंचाने के लिए भारी भरकम धनराशि का इंतजाम किस तरह करेंगे? देखना यह भी है कि रेल मंत्री रेल यात्रियों की सुविधा व सुरक्षा के साथ रेलवे की माली हालत किस तरह सुधारेंगे, किस तरह रेलवे का आधुनिकीकरण करेंगे, किस तरह रेलवे की उत्पादकता बढ़ाएंगे?

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