-कृष्णमोहन झा
मैहर विधानसभा उपचुनाव को लेकर एक माह से भी अधिक समय से प्रदेश का राजनैतिक पारा चढ़ा हुआ था। इस उपचुनाव में जहां कांग्रेस अपनी इस सीट पर कब्जा बरकरार रख प्रदेश में कांग्रेस की पुन: वापसी के संकेत देना चाहती थी वहीं भाजपा रतलाम लोकसभा उपचुनाव की हार का बदला लेकर शिवराज लहर प्रदेश में कायम रखने के संकेत देना चाहती थी। भाजपा ने रतलाम-झाबुआ उपचुनाव में मिले अनुभवों का भरपूर लाभ इस चुनाव में लिया । यही वजह थी कि हमेशा से भाजपा विरोधी मानी जाने वाली इस विधानसभा सीट पर भाजपा ने जीत का परचम लहराया। इस जीत में भाजपा प्रत्याशी नारायण त्रिपाठी का भी महत्वपूर्ण योगदान है। युवाओं और वृद्धों में खासे लोकप्रिय नारायण का अपना अलग वोट पाकेट है।
मैहर उपचुनाव की स्थिति कांग्रेस से विधायक नारायण त्रिपाठी के भाजपा में शामिल होने के बाद विधानसभा सदस्य पद से इस्तीफा देने के बाद बनी थी। नारायण त्रिपाठी ने लोकसभा 2014 के चुनावों में भाजपा प्रत्याशी को चुनाव जीताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यही वह वजह थी भाजपा ने त्रिपाठी को मैहर से अपना प्रत्याशी घोषित किया था। रतलाम-झाबुआ लोकसभा उपचुनाव में हार के बाद भाजपा मैहर में किसी भी प्रकार का रिस्क नहीं लेना चाहती थी। भाजपा के वरिष्ठ नेता नारायण त्रिपाठी को टिकट देने के पक्ष में नहीं थे, लेकिन संगठन महामंत्री अरविंद मेनन, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार चौहान और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने त्रिपाठी से किया वादा निभाने की बात कहते हुए प्रदेश चुनाव समिति के पदाधिकारियों को टिकट देने के लिए मना लिया था। भाजपा ने मैहर उपचुनाव की घोषणा के साथ ही मोर्चा संभाल लिया था।
पहली बार अपनी रणनीति में परिवर्तन कर भारतीय जनता पाटी्र संगठन महामंत्री और प्रदेश अध्यक्ष की जगह जिले के प्रभारी मंत्री राजेंद्र्र शुक्ला को मोर्चे पर डटा दिया, वहीं उनके सहयोगी के रूप में युवा ब्राम्हण नेता मनोरंजन मिश्रा को संगठन की तरफ से अधिकृत कर स्थानीय कार्यकर्ताओं को महत्वपूर्ण दायित्व सौंपने और योग्यतानुसार कार्य विभाजन के लिए अधिकृत किया। बिहार, दिल्ली और रतलाम उपचुनाव की हार से सबक लेते हुए भाजपा ने इस बार बाहरी कार्यकर्ताओं का प्रवेश पूर्णत: निषेध रखा और पूरा विश्वास स्थानीय कार्यकर्ताओं पर रखा। प्रदेश के जनसंपर्क एवं खनिज मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने हर वर्ग को साधने का भरपूर प्रयास किया। क्षेत्र के पूर्व विधायक मोतीलाल तिवारी को भाजपा के राष्ट्रीय परिषद का सदस्य बना कर उनकी नाराजगी दूर करने का प्रयास किया।
इतना ही नहीं कांग्रेस के कद्दावर ब्राम्हण नेताओं को भी भाजपा की सदस्यता दिलाकर कांग्रेस के लिए जीत की राह कठिन कर दी। नारायण त्रिपाठी के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस के पास प्रत्याशी का संकट खड़ा हो गया था। उन्होंने 2013 विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट से चुनाव लड़े मनीष पटेल को अपना प्रत्याशी बनाया था, मनीष कांग्रेस के पूर्व विधायक लालजी पटेल के पोते है। मैहर विधानसभा में कुर्मी और ब्राम्हण मतदाताओं की महत्वपूर्ण भूमिका परंपरागत रही है। कांग्रेस ने कुर्मी समाज के वोटों को अपनी तरफ खींचने के उद्देश्य से मनीष पटेल को अपना प्रत्याशी बनाया था, लेकिन कांग्रेस की रणनीति फेल हो गई। कांग्रेस प्रत्याशी की तरफ से पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह (राहुल भैया), प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव ने मोर्चा संभाला था।
वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, कमलनाथ, कांतिलाल भूरिया ने भी प्रचार की कमान थामी थी। पूर्ण योजनाबद्ध ढंग से लड़े गए इस उपचुनाव में भाजपा ने आखरी के तीन दिन प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के रोड शो का आयोजन कर मैहर के मतदाताओं को आकर्षित किया। मुख्यमंत्री ने चुनाव आचार संहिता लागू होने के पहले भी 72 घंटे मैहर में व्यतीत किए थे। इस दौरान उन्होंने मैहर को मिनी स्मार्ट सिटी बनाने और करोड़ों की लागत से सिंचाई परियोजनाएं प्रारंभ करने की घोषणा की थी। भारतीय जनता पार्टी ने मैहर उपचुनाव में जीत हासिल कर कांग्रेस के इस मिथक को तोड़ दिया है कि प्रदेश में शिवराज का जादू अब नहीं चल पा रहा है। रतलाम उपचुनाव में कांग्रेस को मिली जीत अब काफूर हो गई है।