29 Mar 2024, 04:55:20 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-विष्णुगुप्त
दुनिया के मशहूर कहानीकार आॅस्कर वाइल्ड अपनी विख्यात कहानी  अभिषेक के अंत में कहते हैं ‘ मैं चीथड़े पहनता हूं, वह मखमल पहनता है, मैं भूखों मरता हूं वह खाना भी पचा नहीं पाता है, हमें इतना कम धन देते हैं कि हम मरने लगते है, हम दिन भर काम करते है पर वह अपनी तिजोरी भरता है ।’ आॅस्कर वाइल्ड का यह कथन दुनिया का सच है। दुनिया की शक्तिशाली देश बिना युद्ध और बिना पराजित किए भी गरीब और विकासशील दुनिया के संसाधनों पर कब्जा करते है, इनके प्राकृतिक संसाधनों को लूटते हैं, इनकी संप्रभुता को रौंदते हैं, इनके स्वाभिमान को छिन्न-भिन्न करते है और इसे अंजाम देने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाते हैं। अगर इनके हथकंडे अंजाम तक नहीं पहुंचते हैं तो फिर गृहयुद्ध की स्थिति उत्पन्न कराने की कोशिश होती है, मजहब आधारित आतंकवाद प्रसारित करने की कोशिश होती है, तरह-तरह के प्रतिबंधों के माध्यम से दुनिया के बाजार, दुनिया की लोकतांत्रिक संस्थाओं तक पहुंच और सूचना व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है।

सिर्फ गरीब और अल्प विकासशील देशों की ही बात नहीं है बल्कि भारत जैसे विशाल लोकतांत्रिक देश भी अमेरिकी-यूरोपीय कंपनियों के सामने आत्मसमर्पण कर अपने स्वाभिमान को लूटाते हुए देखता है, अपने विभिन्न काूननों का हश्र होते हुए देखता है, अपने संविधान की मार्यदा भंग होते हुए देखता है। यह विचार स्थापित कर दिया गया है कि देश के अपमान करने, देश के कानूनों का उल्लंधन करने, संविधान आदि को रौंदने के बावजूद अमेरिकी-यूरोपीय बहुराष्ट्रीय कंपनियों के खिलाफ बोलेगें, इनके खिलाफ कानूनीं कार्रवाई करोगे, मुद्राकोष, विश्व व्यापार संगठन की नीतियों की अवहेलना करोगे तो फिर निवेशक आएंगे नहीं।  देश के अंदर में जो निवेशक हैं वे भाग जाएंगे निवेशकों के अभाव में देश पिछड़ जाएगा इसलिए चुप रहो। ऐसी सोच-ऐसी मानसिकता किसी संप्रभुता संपन्न देश के स्वाभिमान को संरक्षित नहीं कर सकती हैं। फेसबुक ने जिस तरह अपनी करतूत को अंजाम देने में विफल होने पर अपना भड़ास निकालते हुए भारत के स्वाभिभान को अपमानित किया है, भारत की आजादी को खारिज किया है, साम्राज्यवादी चर्चिल के कथन को फिर से दोहराकर भारत के

लोगों को अनपढ़ व भविष्यविरोधी करार दिया है, वह घोर चिंता की बात है।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ने फेसबुक की फ्री बेसिक्स योजना को अस्वीकार कर दिया था। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण के इसी निर्णय के खिलाफ फेसबुक ने अपनी साम्राज्यवादी मानसिकता का प्रदर्शन करते हुए भारत के स्वाभिमान की खिल्ली उड़ाई है। फेसबुक के मालिकों ने कैसे-कैसे बोल से भारत की खिल्ली उड़ाई । भारत को कोसा है, यह भी देख लीजिए। फेसबुक के डायरेक्टर मार्क एंडरसन ने कहा कि भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण का यह फैसला सही नहीं है, अगर भारत ब्रिटेन के अधीन यानी गुलाम होता तो भारत ज्यादा विकास करता। फेसबुक ने अपनी फ्री बेसिक्स इंटरनेट योजना को भारत में स्वीकृति दिलाने के लिए  300 करोड़ से भी अधिक रुपए विज्ञापन पर खर्च कर दिए । इतने हथकंडे अपनाने  के बाद भी फेसबुक को कामयाबी नहीं मिली।
 

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ने जनप्रतिक्रिया को ध्यान में रखकर फेसबुक और इसके सहचरों की योजना को खारिज कर दिया। दुनिया में सबसे ज्यादा इंटरनेट का प्रयोग, सोशल साइटों का प्रयोग और सर्च इंजन का प्रयोग भारत के लोग ही करते हैं। इसलिए भारत में ये सभी आधुनिक व्यापार फायदे वाले हैं। करोड़ों-अरबों का मुनाफा होता है। देश के कानूनों के अनुसार मुनाफा होने पर आयकर, देना अनिवार्य है। पर फेसबुक और गूगल जैसी अमेरिकी-यूरोपीय कंपनियां इन सभी भारतीय कानूनों का उल्लंघन कर रही हैं। बिना टैक्स चुकाए ही फेसबुक और गूगल जैसी कंपनियां भारतीय बाजारों से कमाएं अरबों डालर अमेरिका भेज रही हैं।

सबसे बड़ी चिंता की बात राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर है। विदेशी कंपनियां सीएसआर कानूनों का भी उल्लंधन कर रही हैं। भारत सरकार ने एक कानून बना कर लाभ कमाने वाली देशी-विदेशी कंपनियों की सामाजिक जिम्मेदारी तय कर दी है।  विदेशी कंपनियां सीएसआर काननूों का सरेआम उल्लंधन करती है, अपनी कमाई का दो प्रतिशत हिस्सा सामाजिक कार्यो पर खर्च नहीं करती है। फेसबुक और गूगल जैसी विदेशी कंपनियों ने आज तक सीएसआर कानूनों का पालन नहीं किया है। किसी भी परिस्थिति में विदेशी कंपनियों को हमारे स्वाभिमान के साथ खेलने का अवसर नहीं दिया जाना चाहिए। पर समस्या यह है कि देश की कुर्सी पर बैठने वाला हर आदमी विदेशी कपंनियों की करतूतों के खिलाफ वीरता ही नहीं दिखाता है। यही कारण है कि विदेशी कंपनियां निर्भिक होकर भारत का अपमान करती हैं।

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