25 Apr 2024, 00:01:14 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-अवधेश कुमार
हमने देखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किस तरह एक परिवार की बात कहकर सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी पर हमला किया तो जवाब में राहुल गांधी ने भी प्रतिहमला किया। नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम तो गरीबों के लिए आम आदमी के लिए काम करना चाहते हैं लेकिन एक परिवार है जो कि संसद नहीं चलने दे रहा और इनसे संबंधित विधेयक पारित नहीं हो पा रहे हैं। राहुल गांधी ने तुरत इसका जवाब दिया कि नरेंद्र मोदी जी को देश ने प्रधानमंत्री चुना है लेकिन उनको समझ नहीं आ रहा है कि काम करने के लिए चुना है बहाना बनाने के लिए नहीं। दूसरे शब्दों में कहें तो राहुल गांधी ने दो बातें कहीं। एक कि नरेंद्र मोदी को काम करने नहीं आता या वे काम नहीं कर पाते तो हमको दोषी ठहराने का बहाना बनाते हैं। दो, उनको यह समझ नहीं या वे अभी तक नहीं समझ पाए हैं कि प्रधानमंत्री का क्या दायित्व है या क्या काम करना है। साफ है कि नरेंद्र मोदी या भाजपा या उनके समर्थक राहुल के प्रतिजवाब से सहमत नहीं होंगे, किंतु कांग्रेस और उनके समर्थकों के लिए तो यह ब्रह्म वाक्य हो गया।

कहने का तात्पर्य यह कि आने वाले दिनों में हमें मोदी बनाम राहुल का यह हमला और प्रतिहमला कई रुपों मे यह उसी तरह होगा जैसे राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी की सरकार को सूटबूट की सरकार कहकर उपहास उड़ाया एवं यह शब्दावली कांग्रेस के लिए सरकार की आलोचना के लिए सूत्र वाक्य बन गया। दूसरी ओर यही बात भाजपा एवं उनके समर्थकों पर भी लागू होती है। यह लंबे समय बाद था जब मोदी ने सीधे परिवार पर हमला किया है। लोकसभा चुनाव के पूर्व वो उस परिवार को जितना निशाने पर लेते थे श्रोताओं और समर्थकों की तालियां और वाहवाही उन्हें उतनी ही मिलती थी। प्रधानमंत्री बनने के बाद उनने परिवार पर हमला लगभग बंद कर दिया था। असम में इस वर्ष चुनाव है और कांग्रेस तथा भाजपा दोनों इस समय सीधे-सीधे या गठबंधनों के साथ आमने-सामने होंगे। ऐसी स्थिति में पार्टी के नेता के नाते नरेंद्र मोदी का कांग्रेस पर तीखा हमला करना स्वाभाविक था।

वे वहां यह बता रहे थे कि हम ऐसे कई कानून बनाना चाहते हैं जिनसे उत्तर पूर्व का विकास हो सकता है। इसी में से एक है जल यातायात विधेयक। यदि यह पारित हो गया तो ब्रह्पुत्र में जन एवं सामानों का परिवहन आरंभ हो जाएगा जिससे केवल असम नहीं पूरे पूर्वोत्तर की अर्थव्यवस्था का चेहरा बदल सकता है, लेकिन कांग्रेस राज्य सभा में यह विधेयक पारित नहीं होने दे रही और इस तरह आपके विकास में बाधा कांग्रेस का अपना जवाब हो सकता है। लेकिन भाजपा के लिए फिर से कांग्रेस के शीर्ष परिवार पर हमले का रास्ता खुल गया है। पिछले शीत सत्र में संविधान दिवस पर चर्चा में प्रधानमंत्री मोदी ने डॉ. भीमराव आंबेडकर के बाद सबसे ज्यादा कांग्रेस के नेताओं का महिमामंडन किया। उस भाषण में एक बार भी डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी या अन्य उन नेताओं का नाम नहीं लिया जिनने संविधान बनाने, उसकी मयार्दा कायम रखने में भूमिका निभाई, पर वे कांग्रेस के साथ नहीं रहे।
 

कुल मिलाकर बहुमत कार्यकर्ताओं की नजर में यह गलत रणनीति थी। संभव है यह भावना मोदी तक पहुंची हो कि ऐसे तेवर से कार्यकर्ता निराश हुए हैं और इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। इसलिए वे पुराने तेवर पर वापस आ रहे हैं। वैसे भी चुनाव में कूदना है और सामने बिहार पराजय का दंश है तो अपनी पूरी बुद्धिकौशल प्रधानमंत्री को लगाना होगा। उनके जन समर्थन का मूलाधार कांग्रेस एवं विपक्ष पर उनकी प्रखर आक्रामकता रही है। जितना वे सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी पर हमला करते हैं उतने उनके कार्यकर्ता एवं समर्थक उत्साहित होते है। यह गुजरात से आरंभ हुआ और देशव्यापी साफ है कि हमला एवं प्रति हमला का यह दौर आगे और तीखा होगा। चूंकि यह ऐसे समय आरंभ हुआ है जब संसद का बजट सत्र आहूत करने की घोषणा हुई। तो इसका शिकार संसद भी हो सकती है। यह भी सच है कि सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने बजट सत्र के बाद से अपना संसदीय आचरण बिल्कुल बदल लिया है। ऐसा लगता है जैसे कांग्रेस यह मानकर चल रही है कि संसद में हंगामा करके सरकार को काम करने में बाधा पैदा करने से उसे सुर्खियां मिलती हैं और यह उसके खोए हुए जनाधार की वापसी का आधार बन सकता है।

आप ध्यान देंगे तो जिन मुद्दों का संसद से कोई लेना-देना नहीं, उन्हें भी उठाकर संसद को बाधित करने की कोशिश होती है। चंूंकि लोकसभा में सरकार का बहुमत है तथा कुछ पार्टियां कांग्रेस का साथ नहीं देती, इसलिए वहां यह ज्यादा बाधा पैदा नहीं कर पाती, लेकिन राज्य सभा में यह स्थिति नहीं है और वहां यह सरकार की गति पर पूरी तरह ब्रेक लगाने में सफल हो जाती है।  यहां तक कि जीएसटी को भी सरकार पारित नहीं करा पाई, जबकि दूसरी कई विपक्षी पार्टियां इस पर सहमत हो गईं थी। इसे देश देख रहा है। हमारे देश में चुनावों के परिणामों में कई बार तार्किकता का अभाव भी दिखता है, लेकिन अगर जनता के अंदर यह भाव पैदा हो गया या सरकार व भाजपा यह भाव पैदा करने में सफल हो गई कि कांग्रेस वाकई संसद में हंगामा करके उनके हित को बाधित कर रही है तो फिर उसे इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है। कहने की आवश्यकता नहीं कि मोदी इसी रणनीति पर चल रहे हैं। कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करना है तो फिर उस परिवार को निशाना बनाओ। तो अगर दोनों ओर की सोच और रणनीति आपकी समझ में आ गया हो तो कल्पना करिए कि देश में फिर से मोदी बनाम सोनिया राहुल परिवार का हमला प्रतिहमला का यह दौर कब तक और कहा तक जाएगा!

  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »