28 Mar 2024, 18:40:12 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-वीना नागपाल
वह एक स्त्री रोग व प्रसूति विशेषज्ञ हैं। आजकल उन्हें एक नई समस्या से जूझना पड़ा रहा है। उनके पास नव दंपति आते हैं। उनके यहां प्रथम संतान आने वाली होती है। आजकल बहुत जागरूकता आ गई है और कई जानकारियां भी इंटरनेट से मिल जाती हैं इसलिए उन्हें सलाह या परामर्श देने की विशेष आवश्यकता नहीं पड़ती। इन सबके बावजूद एक विशेष समस्या आ रही है। यह नवदंपति अपनी पसंद की तारीख पर बच्चे का जन्म चाहते हैं। कभी बड़े उमंग से भरकर पत्नी कहती है- डॉक्टर! विशाल का (आजकल पति का नाम लेना चलन में है।) जन्मदिन फलां डेट को आता है बेबी का जन्म भी उसके आसपास ही है। आप उस दिन ही सिजेरियन कर दीजिए। कितना अच्छा लगेगा न कि एक ही दिन पापा और बेबी या बाबा का जन्मदिन मनाया जाएगा। ‘‘कभी इन दंपतियों का इसरार होता है कि उनके विवाह की वर्षगांठ पर सिजेरियन कर दिया जाए’’। उन्हें इसमें बहुत एक्साइटमेंट लगता है कि उनकी मैरिज एनिवर्सरी पर दोनों ने एक-दूसरे की प्रेजेंट दिया यानी कि संतान का जन्म लेना भी एक वस्तु हो गया, जो उपहार में दिया जा सकता है।

कई बार और विचित्र कारण भी होते हैं। भावी मां कहती है कि उसे प्रसव पीड़ा से बहुत भय लगता है- ओह! आई एम सेकयर्ड आॅफ इट। मैं इसे सहन नहीं कर पाऊंगी। मैं पीड़ा में चीखना नहीं चाहती। इट इज अगेंस्ट माय नेचर। डॉक्टर आप तो सिजेरियन कर दीजिएगा। ‘‘वह डॉक्टर उन्हें बहुत सुझावों से समझाने की कोशिश करती है कि प्राकृतिक ढंग व प्रसव सहज व स्वभाविक रूप की प्रक्रिया ही मां व बच्चे और सही कहा जाए तो नवजात के जन्म के लिए बहुत लाभदायक होती है। इसका प्रभाव बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत आवश्यक है। बनिस्बत उस प्रक्रिया के जिसमें सिजेरियन द्वारा बच्चे को इस संसार में लाया जाता है पर, आधुनिक माता-पिता सुनने को तैयार ही नहीं हैं। न तो उन्हें सिजेरियन के लिए पैसा खर्च करने पर कोई असुविधा होती है  और न वह इस बात की चिंता करते हंै कि इसके दूरगामी परिणाम क्या होंगे?

उन्हें तो जैसे बच्चे के रूप में भी वह प्रेजेंट चाहिए जो उन्हें अपने किसी विशेष दिन व समय पर मिला हो। सुना है कि विज्ञान इस क्षेत्र में और आगे बढ़ रहा है और डिजाइनर बेबी भी बनने वाले हैं तब तो यह उपहार और भी सेलिब्रेशन के प्रतीक बन जाएंगे। प्रकृति के साथ हम खिलवाड़ कितनी दूर तक करेंगे,  इसे लेकर कई चिंता की जा रही है। प्रकृति यह कहती है कि गर्भ धारण करना और प्रसव पीड़ा सहनकर सहज व स्वाभाविक प्रक्रिया से बच्चे को जन्म देना प्रकृति का सबसे बड़ा सृजन है। पर, आजकल तो इस बात को झुठलाया जा रहा है जन्म व मृत्यु ऊपर वाले के हाथ में है। जन्म को तो मनुष्य ने प्रकृति से हथिया लिया है पर, मृत्यु को हाथ में लेना अभी दूर है। यदि मां और पिता का भी शारीरिक और मानसिक रूप से अपनी संतान के साथ भावनात्मक रिश्ता बनाने की चाह है तो मनमर्जी से सिजेरियन न करवाकर प्राकृतिक व्यवस्था और समय की प्रतीक्षा करें, हां, यदि चिकित्सकीय समस्या हो तो और बात है।

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